बिहार के दो शिक्षक-शिक्षिका ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार’ से सम्मानित कीये गए
5 सितंबर, 2022 को शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मूने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में बिहार के दो शिक्षक-शिक्षिका सौरव
सुमन और निशि कुमारी को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2022 से सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष देश भर से 46 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिये चुना गया था, जिनमें बिहार के दो शिक्षक-शिक्षिका
भी शामिल थे।
राष्ट्रपति द्वारा दोनों शिक्षक-शिक्षिका को सम्मानस्वरूप रजत पदक, 50 हज़ार रुपए की पुरस्कार राशि का चेक और प्रमाण-पत्र प्रदान किया
गया।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2022 से सम्मानित बिहार के इन दो शिक्षकों में महादेव उच्च माध्यमिक विद्यालय खुशरूपुर, पटना की शिक्षिका
निशि कुमारी और ललित नारायण लक्ष्मी नारायण प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय त्रिवेणीगंज, सुपौल के शिक्षक सौरव सुमन शामिल हैं।
सुपौल के शिक्षक सौरव सुमन ने जहाँ राज्य के सरकारी स्कूलों में तकनीकी क्षेत्र को मज़बूत करने का काम किया है, वहीं पटना की शिक्षिका
निशि कुमारी ने बालिका स्वास्थ्य और सेनेटरी पैड पर विशेष योगदान दिया है।
गौरतलब है कि शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षा मंत्रालय का स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग प्रतिवर्ष 5 सितंबर को एक राष्ट्रीय
समारोह का आयोजन करता है, जिसमें देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
पुरस्कारों के लिये शिक्षकों का चयन ऑनलाइन तीनस्तरीय चयन प्रक्रिया के ज़रिये पारदर्शी तरीके से किया जाता है।
शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने का उद्देश्य देश के शिक्षकों के अनूठे योगदान को रेखांकित करना और ऐसे शिक्षकों का सम्मान
करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता व परिश्रम से न सिर्फ स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी
समृद्ध किया है।
नक्शों की डोर स्टेप डिलीवरी का शुभारंभ
6 सितंबर, 2022 को बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक मेहता ने शास्त्रीनगर स्थित राजस्व (सर्वे) प्रशिक्षण संस्थान
में भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय की नक्शों की डोर स्टेप डिलीवरी का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
भूमि विवाद सुलझाने में सही नक्शे की अहमियत को देखते हुए डिजिटल नक्शा उपलब्ध कराने के लिये डोर स्टेप डिलीवरी की शुरुआत
की गई है। बिहार के लोगों को अब घर-बैठे ज़मीन का नक्शा मिलेगा।
इस तरह गाँव और कस्बों का नक्शा ऑनलाइन मँगाने की व्यवस्था लागू करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन गया है।
मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि इससे भूमि विवाद की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी और नक्शे की उपलब्धता को लेकर होने वाली
अनावश्यक परेशानी कम होगी। इस व्यवस्था में अनावश्यक विलंब एवं भ्रष्टाचार की संभावना भी समाप्त हो जाएगी।
नक्शा मँगाने के लिये निदेशालय की साइट bihar.gov.in पर जाकर डोर स्टेप डिलीवरी आइकन पर क्लिक करना होगा। फिर अपने
मौजे के नक्शा का आर्डर और पेमेंट ऑनलाइन करना होगा। एक बार में एक कंटेनर में 5 शीट का ऑर्डर कर सकते हैं। नक्शा कूट के गोल
और मज़बूत डिब्बेमें पैक रहेगा।
एक शीट का नक्शा 285 रुपए में मिलेगा। इसमें कंटेनर का शुल्क और डाक व्यय शामिल है। दो शीट (नक्शा) के लिये 435 रुपए, तीन
शीट के लिये 585 रुपए, चार शीट के लिये 785 रुपए तथा पाँच शीट के लिये 935 रुपए का भुगतान करना होगा।
भुगतान पेमेंट गेटवे से होगा। सभी प्रमुख बैंक इस सुविधा से जुड़े हुए हैं। भुगतान सभी प्रमुख बैंकों के डेबिट/क्रेडिट कार्ड से हो सकता है।
इस सेवा के लिये बैंक अलग से चार्जनहीं लेंगे। भुगतान के साथ ही कंप्यूटर स्क्रीन पर प्राप्ति रसीद मिलेगी, जिसे भविष्य के लिये संरक्षित
कर सकते हैं।
डोर स्टेप डिलीवरी के लिये डाक विभाग से एमओयू साइन किया गया है। नक्शों की डिलीवरी स्पीड पोस्ट से होगी। हर कंटेनर पर बार
कोड जनेरेटेड स्टिकर लगाना अनिवार्य है। डाक चार्जनक्शे के वज़न के मुताबिक होगा। एक कंटेनर की कीमत 35 रुपए है व एक कंटेनर
में अधिकतम 5 नक्शे पैक किये जाएंगे। 3 नक्शा समेत कंटेनर का डाक शुल्क 100 रुपए व तीन से ज़्यादा नक्शे का 150 रुपए तय है।
लोग बिहार सर्वेक्षण कार्यालय, गुलजारबाग में उपलब्ध कुल 1,35,865 नक्शों को ऑनलाइन आवेदन कर मँगा सकते हैं। इसमें सबसे अधिक
73,086 नक्शे कैडस्टल सर्वे से संबंधित हैं। रिविजन सर्वे से संबंधित नक्शों की संख्या 49,711 तथा चकबंदी के नक्शों की कुल संख्या
7821 है।
प्रसिद्ध लोक कलाकार पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन
7 सितंबर, 2022 को बिहार के सारण ज़िले के रहने वाले प्रसिद्ध लोक कलाकार तथा पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित रामचंद्र मांझी का पटना
के आईजीआईएमएस अस्पताल में 96 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
प्रमुख बिंदु
पद्मश्री अवार्ड हासिल कर चुके रामचंद्र मांझी ‘लौंडा नाच’के लिये मशहूर थे। मांझी भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर
के सहयोगी रहे है। लौंडा नाच से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति हासिल करने वाले मांझी 30 साल तक नाच मंडली के सदस्य रहे।
पद्मश्री के साथ-साथ उन्हें लौंडा नाच का भी सम्मान मिला। इसके अलावा संगीत नाटक अकादमी समेत अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित
किया गया। उन्होंने बिहार की लोक संस्कृति को एक अलग पहचान दिलाई।
गौरतलब है कि बिहार का ‘लौंडा नाच’बिहार के पुराने और बेहद प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। इसमें लड़का, लड़की की तरह मेकअप
और कपड़े पहनकर नृत्य करता है। लौंडा नाच का आयोजन लोग किसी भी शुभ मौके पर कराते हैं। वर्तमान में समाज के बीच से यह लोक
नृत्य हाशिये पर जा चुका है। गिनी-चुनी ही लौंडा नृत्य मंडलियाँ बची हैं, जो इस विधा को ज़िंदा रखे हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने किया देश के सबसे बड़े रबर डैम का उद्घाटन
8 सितंबर, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया ज़िले में फल्गुनदी पर निर्मित बिहार के पहले और देश के सबसे लंबे रबर
डैम ‘गयाजी डैम’ का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
312 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित इस बाँध में कंक्रीट की जगह रबर का इस्तेमाल किया गया है। यह पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल
है। यह तीन मीटर ऊँचा और 411 मीटर लंबा है। इसमें 60-65 मीटर लंबाई के छह स्पैन हैं।
नदी के नीचे करीब एक हज़ार मीटर की लंबाई में रबर शीट लगाई गई है। इसका डायफ्राम तीन सौ मीटर का है। डैम एक बैलून की तरह
है। इसके रबर ट्यूब में हवा भरने और निकालने के लिये आटोमेटिक व्यवस्था है। पानी अधिक होने पर बैलून की हवा निकाली जा सकेगी।
इससे ज़रूरत के अनुसार पानी रोका और छोड़ा जा सकेगा।
जानकारी के अनुसार ऑस्ट्रिया की कंपनी और हैदराबाद की एजेंसी ने मिलकर इसे तैयार किया है। रबर डैम 17 एमएम मोटी रबर से बना
है। यह बुलेटप्रूफ है। साथ ही यह दावा किया जा रहा है कि यह एक सौ साल तक खराब नहीं होगा।
हिंदुओं और बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गया में बने इस रबर डैम से फल्गुनदी में साल भर पानी रहेगा। इससे स्नान, पिंडदान और तर्पण
करने में लोगों को सुविधा होगी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 22 सितंबर, 2020 को इसका शिलान्यास किया था। तब अक्टूबर 2023 में इसके निर्माण का
लक्ष्य रखा गया था। लेकिन इसे 2022 में ही पूरा कर लिया गया।
बीएसपीएचसीएल ने किया आरईसी लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर
12 सितंबर, 2022 को बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीएसपीएचसीएल) ने बिजली के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के
लिये बड़ा कदम उठाते हुए आरईसी लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया।
प्रमुख बिंदु
बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार और कुल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी)
घाटेमें कटौती के लिये पुनरुत्थान वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत आरईसी लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
बीएसपीएचसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक (सीएमडी) संजीव हंस ने उत्तर बिहार विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एनबीपीडीसीएल)
और दक्षिण बिहार विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) के प्रबंध निदेशकों की उपस्थिति में आरईसी लिमिटेड के मुख्य
कार्यक्रम प्रबंधक जोगीनाथ प्रधान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये।
समझौते के तहत एनबीपीडीसीएल और एसबीपीडीसीएल को 6,625 करोड़ रुपए मिलेंगे। इसके अलावा स्मार्ट प्रीपेड मीटर के काम के
लिये 1,993 करोड़ रुपए मिलेंगे। कुल आवंटित धन में से केंद्र की तरफ से 60% और राज्य सरकार की ओर से 40% रकम आएगी।
आरडीएसएस के तहत बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिये एनबीपीडीसीएल को 3,100 करोड़ रुपए और एसबीपीडीसीएल को 3,525
करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं स्मार्ट प्रीपेड मीटर के काम के लिये एनबीपीडीसीएल को 969 करोड़ रुपए और एसबीपीडीसीएल को 1,024
करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे।
सूचना प्रौद्योगिकी परिचालन प्रौद्योगिकी (आईटीओटी) के लिये मार्च 2026 तक एटी एंड सी घाटेमें कटौती के लिये बिजली वितरण
कंपनियों (डिस्कॉम) को 400 करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे।
संजीव हंस के मुताबिक धन के आवंटन के साथ बुनियादी ढाँचे को मज़बूत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनबीपीडीसीएल के 25.74%
(2020-21) के एटी एंड सी को 2025 तक 16% और अगले तीन वर्षों में एसबीपीडीसीएल के लिये 36.80% (2020-21) से घटाकर
20% करने का लक्ष्य रखा है।
बिहार में अशोक शिलालेख व दो अन्य स्थल एएसआई अधिसूचना के लिये विचाराधीन
19 सितंबर, 2022 को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने कहा कि बिहार के दो स्मारक- अशोक शिलालेख और दो
प्राचीन टीले वर्तमान में केंद्र-संरक्षित स्मारकों की स्थिति के अनुसार विचाराधीन हैं, जिन पर जल्द फैसला लिया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पटना सर्किल ने पिछले 14 वर्षों की अवधि में इन सिफारिशों को अधिसूचना के लिये भेजा था।
अशोक शिलालेख स्थल रोहतास ज़िले में है और इसकी एएसआई अधिसूचना के लिये सिफारिश 2008 में भेजी गई थी, इसके बाद 2010
और 2021 में सिफारिशों के साथ-साथ बिहार में दो प्राचीन टीलों को केंद्र-संरक्षित स्मारकों के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
भागलपुर ज़िले में विक्रमशिला स्थल के पास जंगलिस्तान क्षेत्र में एक टीले के लिये सिफारिश 2010 में भेजी गई थीं। बिहार के एक अलग
हिस्सेमें रानीवास टीले की सूची के लिये इसे 2021 में भेजा गया था।
वर्तमान में बिहार में 70 साइट एएसआई के पास हैं, जो इसके पटना सर्किल के तहत काम करती है। यह भारत के सबसे पुराने क्षेत्रीय सर्किलों
में से एक है।
दिल्ली में एएसआई मुख्यालय के सूत्रों ने कहा कि पटना सर्किल द्वारा भेजी गई ये सिफारिशें प्रक्रिया के तहत हैं। अंतिम निर्णय लेने से पहले
क्षेत्रीय सर्किलों द्वारा सावधानीपूर्वक दस्तावेज़ों के रूप में भेजे गए प्रस्तावों या सिफारिशों की एएसआई मुख्यालय में एक टीम द्वारा जाँच की
जाती है। सबसे पहले एक अनंतिम अधिसूचना जारी होती है और फिर एक अंतिम राजपत्रित अधिसूचना जारी की जाती है।
गौरतलब है कि एएसआई द्वारा संरक्षित भारत में कुल 3,693 विरासत स्थल हैं। इनमें से कई यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जैसे- आगरा का
ताजमहल, दिल्ली का लाल किला, कुतुबमीनार और हुमायूँ का मकबरा तथा बिहार में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर।
अधिकारियों ने कहा कि गया में शिव मंदिर को 1996 में एएसआई द्वारा अधिसूचित किया गया था, तब से बिहार में कोई भी नया स्थल
एएसआई के दायरेमें नहीं लाया गया है।
बिहार में चावल से लेकर चीनी तक के लिये निवेश प्रस्ताव, 20 नई यूनिट लगाने की योजना
20 सितंबर, 2022 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेश के लिये 529 करोड़ रुपए
के नए प्रस्ताव आए हैं। इन प्रस्ताव में 20 नई यूनिट लगाने की योजना है। राज्य की निवेश प्रोत्साहन परिषद ने इसे प्रारंभिक स्वीकृति दे दी है।
प्रमुख बिंदु
ये प्रस्ताव राज्य निवेश प्रोत्साहन परिषद की 41वीं बैठक में आए हैं। खाद्य प्रसंस्करण की सात प्रमुख यूनिटों की स्थापना में 419 करोड़ रुपए
के निवेश के प्रस्ताव हैं। वैशाली में खाद्य प्रसंस्करण की प्रस्तावित यूनिट में 213 करोड़ रुपए के निवेश की संभावना है। इस यूनिट में केचअप, टोमैटो पेस्ट और न्यूट्रिशनल पाउडर का निर्माण होगा।
गोपालगंज स्थित विष्णुशुगर मिल्स लिमिटेड 90 करोड़ रुपए की लागत से मोलासेस बेस्ड इथेनॉल डिस्टिलरी, पश्चिमी चंपारण स्थित
मछौलिया सुगर इंडस्ट्रीज़ भी मोलासेस बेस्ट डिस्टलरी प्लांट पर 27 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
इसके अलावा हरिनगर सुगर मिल्स लिमिटेड पश्चिमी चंपारण में 80 करोड़ रुपए की लागत से चीनी मिल प्लांट स्थापित किया जाएगा। इसी
तरह औरंगाबाद औद्योगिक क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के सत्तू और फ्रूट उत्पाद के कारखाने प्रस्तावित हैं।
खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े अन्य प्रस्तावों में 110 करोड़ रुपए के निवेश से 13 राइस मिल लगाने के प्रस्ताव हैं। ये यूनिट अरवा और उसना
चावल से जुड़ी हैं। ये सभी राइस मिलें सीतामढ़ी, मधुबनी के विद्यानगर, किशनगंज के कासीपुर बेलवा, रोहतास के करघर, औरंगाबाद में
खेरहरी, बांका, पश्चिमी चंपारण, भोजपुर में जगदीशपुर और पूर्णिया में स्थापित की जानी हैं।
निवेश प्रोत्साहन परिषद में टेक्सटाइल और लेदर यूनिट लगाने के भी 46 करोड़ रुपए से अधिक के प्रस्ताव हैं। किशनगंज के सुल्तानगंज में
जूट के धागे, फाइबर उत्पाद, सिलाई, बुनाई और कढ़ाई की यूनिट लगाना प्रस्तावित है। इसी तरह भागलपुर, पूर्णिया, बांका और पूर्वी चंपारण
में टेक्सटाइल और लेदर यूनिट के लिये प्रथम क्लियरेंस दिया गया है।
अन्यमहत्त्वपूर्णतथ्यz फ्लाइ ऐश ईंट निर्माण के लिये मुज़फ्फरपुर मोहनपुर में, भागलपुर, पटना, बेगूसराय में यूनिट स्थापित करने के प्रस्ताव हैं। हालाँकि, इस पर
केवल सात करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावित हैं।
इसके अलावा पूर्णिया, पटना और मुज़फ्फरपुर ज़िलों में पीवीसी पाइप्स आदि के लघु उद्योग स्थापित किये जाने हैं।
लगभग 177 करोड़ रुपए की 21 अन्य यूनिट लगाने के प्रस्ताव हैं। जनरल मैन्युफैक्चरिंग, नवीकृत ऊर्जा, फ्लोर मिल, पेपर कप और प्लेट,
कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, मशीन मैनुफैक्चरिंग, हॉस्पीटल, ऑक्सीजन प्लांट और वुडन फर्नीचर यूनिट लगनी हैं।
निवेश प्रोत्साहन परिषद की 41वीं बैठक में 765 करोड़ रुपए के 53 प्रस्तावों पर प्रथम क्लियरेंस की मुहर लगी, 164 करोड़ रुपए के 11
प्रस्तावों को वित्तीय क्लियरेंस दी गई तथा 10 इकाइयों के फर्स्ट क्लियरेंस के आवेदनों को निरस्त कर दिया गया।
राज्य सरकार ने गया एयरपोर्ट पर घटाया VAT
20 सितंबर, 2022 को एयरपोर्ट कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने गया एयरपोर्ट पर विमानों को ईंधन लेने में बड़ी
सहूलियत देते हुए अपने हिस्से के वैट चार्ज को 29 प्रतिशत से घटाकर मात्र चार प्रतिशत कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
राज्य सरकार ने गया व बोधगया में देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा करने व गया एयरपोर्ट के रास्ते ज़्यादा-से-ज़्यादा यात्रियों की
आवाजाही बढ़ाने को लेकर यह निर्णय लिया है। इससे गया व बोधगया को आर्थिक लाभ भी मिलेगा। विमानों की आवाजाही बढ़ने से गया
एयरपोर्ट को भी लाभ होगा और विमानों के लैंडिंग चार्ज के रूप में आमदनी बढ़ेगी।
राज्य सरकार के इस निर्णय से गया एयरपोर्ट पर विमानों को सस्ता ईंधन मिल पाएगा और इस कारण यहाँ ईंधन लेने के लिये दूसरे रूट के
विमानों की भी आवाजाही बढ़ जाएगी। मुख्यरूप से घरेलू विमानों के गया एयरपोर्ट तक पहुँचने से यात्रियों की आवाजाही भी बढ़ सकती
है।
ज़्यादातर विमान, जो दूसरे रूट से भी आवाजाही कर रहे हैं, वह सस्ता ईधन लेने के लिये गया एयरपोर्ट पर लैंड करेंगे और गया एयरपोर्ट
का रूट तय करेंगे। इससे गया आने व गया से बाहर जाने वाले यात्रियों को लाभ होगा। घरेलू विमानों की आवाजाही बढ़ जाएगी और गया
एयरपोर्ट देश के कई बड़ेशहरों से जुड़ जाएगा। यहाँ तक कि बैंकॉक से कोलकाता के लिये उड़ान भरने वाले विमान भी वाया गया का रूट
पसंद करेंगे।
गया में ईधन लेने से विमानों को एक हज़ार लीटर ईंधन पर कम-से-कम 20 हज़ार रुपए की बचत होगी। अमूमन कोई भी विमान ईंधन
रिफिलिंग के वक्त दो हज़ार लीटर के करीब फ्यूल लेती हैं। इस तरह विमानन कंपनियों को एक बार ईधन लेने में कम-से-कम 40 हज़ार
रुपए की बचत होगी। इसका लाभ उठाने के लिये अब चेन्नई से दिल्ली व दिल्ली से कोलकाता के लिये उड़ान भरने वाले विमान भी गया
एयरपोर्ट का रूट ही पसंद करेंगे।
बिहार के सभी एनएच पर लगाया जाएगा ऑटोमेटिक रडार गन
21 सितंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर ओवर स्पीड को कम करने के लिये
सभी एनएच पर आठ से 10 किमी. पर ऑटोमेटिक रडार गन लगाया जाएगा, ताकि तय गति सीमा से तेज़ गाड़ी चलाने वाले हर वाहनों पर
ऑनलाइन जुर्माना लगाया जा सके।
प्रमुख बिंदु
जुर्माना लगाने के बाद गाड़ी मालिकों को इसकी सूचना ऑनलाइन, यानी एसएमएस से भेजी जाएगी। रडार उन सभी एनएच पर लगाया
जाएगा, जहाँ दुर्घटनाएँ अधिक हो रही हैं। साथ ही, रडार लगाते समय भी दुर्घटना वाली जगहों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
गौरतलब है कि राज्य के पाँच अधिकारियों को इस संबंध में प्रशिक्षण के लिये बंगलूरू भेजा गया था। अब 29-30 सितंबर को दिल्ली में
प्रशिक्षण के बाद ये अपनी पूरी रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगे, ताकि सड़क दुर्घटना में ओवर स्पीड के मामले को कम किया जा सक |
उल्लेखनीय है कि बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण ओवर स्पीड को माना जाता
है। 2021 में राज्य में एनएच पर हुए हादसों में ज़्यादातर एनएच-31, एनएच-28, एनएच-30 और एनएच-57 पर हुए।
इनमें सबसे खतरनाक एनएच-31 है। नवादा, बिहारशरीफ, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, पूर्णिया व किशनगंज से होकर गुज़र रहे इस एनएच
पर 644 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 520 की मौत हो गईं। बेगूसराय, मुजफ्फरपुर व गोपालगंज से होकर गुज़रने वाले एनएच-28 पर 515
हादसे हुए, जिनमें 443 लोगों की मौत हुई। बिहार में एनएच में कुल 3285 दुर्घटनाएँ हुईं।
बिहार में बनेंगे नए ईको टूरिज्म स्पॉट
21 सितंबर, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विभागीय समीक्षा बैठक में प्रदेश में नए ईको टूरिज्म स्पॉट बनाने के लिये
अधिकारियों को निर्देश दिये।
प्रमुख बिंदु
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में नए ईको टूरिज्म स्पॉट बनाने का टास्क वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव को दिया है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि बिहार में जो पर्यटन स्थल विकसित किये गए हैं, उनके अतिरिक्त अन्य स्थलों का
चयन करें। साथ ही, उसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिये कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद राज्य का हरित आवरण क्षेत्र नौ प्रतिशत रह गया था। वर्ष 2012 में हरियाली
मिशन की शुरुआत की गई, जिसके तहत 24 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 22 करोड़ पौधे लगाए गए। जल-जीवनहरियाली अभियान की शुरुआत वर्ष 2019 में की गई। इसमें सभी ज़िलों में अधिक-से-अधिक पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है।
बड़ी संख्या में पौधारोपण किये जाने से राज्य का हरित आवरण क्षेत्र बढ़कर अब 15 प्रतिशत तक पहुँच गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य
का हरित आवरण क्षेत्र कम-से-कम 17 प्रतिशत तक करने के लिये तेज़ी से और पौधारोपण कराएँ।
कोविड वैक्सीनेशन की द्वितीय डोज में पूर्वी चंपारण को मिला पहला पायदान
21 सितंबर, 2022 को राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार कोविड पर नियंत्रण के लिये सरकार की ओर से जारी कोविड
वैक्सीनेशन अभियान की द्वितीय डोज में पूर्वी चंपारण बिहार में प्रथम स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार दूसरे स्थान पर दरभंगा, तीसरे स्थान पर कैमूर व चौथे स्थान पर गया है। कोविड
वैक्सीनेशन की प्रथम डोज में सिवान प्रथम स्थान पर है, जबकि पूर्णिया दूसरे और पूर्वी चंपारण तीसरे स्थान पर है।
ज़िलावार राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा कोविड वैक्सीनेशन का जारी आँकड़ा 16 जनवरी, 2021 से 20 सितंबर, 2022 तक का है।
आँकड़ों के अनुसार पूर्वी चंपारण में कुल 37 लाख 86 हज़ार 790 लोगों को द्वितीय चरण का वैक्सीनेशन दिया गया। प्रथम व द्वितीय डोज,
दोनों मिलाकर पूर्वी चंपारण में 85 लाख 11 हज़ार 745 डोज लोगों को दी गईं। आँकड़ों के अनुसार पुरुष 43 लाख 18 हज़ार 699 व महिला
41 लाख 91 हज़ार 150 हैं। थर्ड जेंडर को भी वैक्सीनेट किया गया है, जिनकी संख्या 1896 है।
आँकड़ों के अनुसार बूस्टर डोज अभियान में प्रथम चरण में अब तक 38 लाख 51 हज़ार 421 और द्वितीय डोज 37 लाख 88 हज़ार 632
लोगों को बूस्टर डोज दी गई है। इसके अलावा प्रीकॉशन डोज आठ लाख 71 हज़ार 675 लोगों को दी गई है। बूस्टर डोज सह टीकाकरण
अभियान अभी भी जारी है।
विदित है कि कोरोना काल में करीब 50 लाख की आबादी वाले पूर्वी चंपारण में करीब 351 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन टीकाकरण के
बाद से इस पर ब्रेक लगा है।
वेयरहाउसिंग (गोदाम) उपलब्धता वाले शहरों मेंपटना का दूसरा स्थान
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय संगठन नाइट फ्रेंक इंडिया द्वारा जारी ‘इंडिया वेयरहाउसिंग मार्केट रिपोर्ट-2022’ में वेयरहाउसिंग (गोदाम) उपलब्धता
वाले शहरों में बिहार के पटना को दूसरा स्थान मिला है।
प्रमुख बिंदु
वित्तीय वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में वेयरहाउसिंग (गोदाम) उपलब्धता वाले शहरों में पटना ने इस दौड़ में गुवाहाटी, जयपुर, लुधियाना
आदि शहरों को पीछे छोड़ दिया है। पटना में वित्तीय वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में 9 लाख (9 मिलियन) वर्गफीट जगह वेयरहाउसिंग
के लिये सृजित हुई है।
पहले स्थान पर भुवनेश्वर शहर 527 प्रतिशत विकास दर के साथ रहा है। तीसरे स्थान पर 148 प्रतिशत विकास दर के साथ सिलीगुड़ी है।
अंतर्राष्ट्रीय संगठन नाइट फ्रेंक इंडिया द्वारा जारी ‘इंडिया वेयरहाउसिंग मार्केट रिपोर्ट-2022’ के अनुसार पटना ने इस क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2022
में 309 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त की है।
पटना के चारों ओर 35 किलोमीटर के दायरेमें वेयरहाउसिंग का असंगठित बाज़ार तेज़ी से विकसित हो रहा है। पटना-गया रोड से दक्षिण,
एनएच 922 से पश्चिम और एनएच 31 से पूर्व और पटना से 20 किलोमीटर उत्तर हाजीपुर इलाके में वेयरहाउसिंग क्लस्टर विकसित हो रहा
है।
पटना के बिहटा, गौरीचक, फतुहा, जीरो माइल, दीदारगंज और खगौल आदि इलाकों में इसके विस्तार की दर सबसे ज़्यादा है। पटना के
आसपास कोका कोला, फ्लिपकार्ट, जीएसके, पेप्सी आदि कंपनियों के वेयरहाउस मौजूद हैं।
बिहार इन्वेस्टर्समीट-2022
29 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय में बिहार इन्वेस्टर्स मीट-2022 (Bihar Investors Meet2022) का उद्घाटन किया। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद पहली बार इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया गया है।
प्रमुख बिंदु
उद्योग विभाग की ओर से मुख्यमंत्री सचिवालय में हो रहे इस आयोजन में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उद्योग मंत्री समीर कुमार समेत
कई उद्योगपति शामिल रहे।
इस आयोजन में उद्योगों में निवेश के लिये सरकार की ओर से की जा रही पहल की जानकारी उद्योगपतियों को दी गई।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये सभी सुविधाएँ दी जाएंगी। बिहार में आधारभूत संरचनाओं
को ठीक किया गया है। सभी चीजों को ध्यान में रखकर नीति बनाई जा रही है। उद्योगों की स्थापना में आने वाली समस्याओं का तुरंत समाधान
किया जाएगा।
गौरतलब है कि इसके पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार में उद्योग मंत्री के रूप में शाहनवाज हुसैन ने हैदराबाद व
दिल्ली में इन्वेस्टर्स मीट के आयोजन किये थे। कुछ महीने पहले दिल्ली के होटल ताज मानसिंह में आयोजित बिहार इन्वेस्टर्स मीट में 30
बड़ी कंपनियों सहित देशभर की 170 कंपनियाँ शामिल हुईं थीं। अन्य राज्यों में भी ऐसे आयोजन करने का फैसला किया गया था।
उल्लेखनीय है कि बिहार तेजी से इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है। देश-विदेश के उद्योगपति यहाँ निवेश की संभावनाओं को
तलाश रहे हैं। बिहार सरकार नीतिगत सुधारों के साथ निवेश करने वालों को आकर्षक इन्सेंटिव्स भी दे रही है।
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