बिहार में तीन साल में विकसित होंगे 160 पर्यटन स्थल
2 नवंबर, 2022 को बिहार के पर्यटन विभाग ने राज्य के सभी पर्यटन सर्किट के मार्गों में सुविधाएँ बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके तहत 3
वर्षों में 160 पर्यटन स्थलों को विकसित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
पर्यटन विभाग, राज्य के समस्त पर्यटक स्थलों के मार्ग में पर्यटकों के रहने-खाने मनोरंजन सहित हर प्रकार की ऑनलाईन सुविधाएँ प्रदान
करेगा।
बिहार में वर्ष 2019 में देशी एवं विदेशी पर्यटकों की कुल संख्या 51 करोड़ थी तो वहीं वर्ष 2022 में अगस्त माह तक 84 लाख से अधिक
देशी तथा 12 हज़ार से अधिक विदेशी पर्यटक आ चुके हैं।
पर्यटन विभाग ने पर्यटन स्थलों के मार्गों की सुविधाओं को बढ़ाने के लिये चार मॉडल- प्रीमियम मार्गीय सुविधा, स्टैंडर्ड मार्गीय सुविधा,
बेसिक मार्गीय सुविधा तथा वर्तमान मार्गीय सुविधा तैयार किये हैं।
प्रीमियम मार्गीय सुविधा के अंतर्गत लगभग डेढ़ एकड़ ज़मीन में 50 कि.मी. की दूरी पर प्रीमियम सुविधाएँ विकसित की जाएंगी।
वहीं स्टैंडर्ड मार्गीय सुविधा के अंतर्गत एक एकड़ ज़मीन में 30 कि.मी. की दूरी पर स्टैंडर्ड सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
बेसिक मार्गीय सुविधा 30 कि.मी. की दूरी पर विकसित की जाएगी, जिसके लिये 7500 वर्गफीट ज़मीन का उपयोग किया जाएगा।
अंतिम वर्तमान मार्गीय सुविधाओं को और अच्छे तरीके से सुधारा जाएगा। इन चार मॉडल के अंतर्गत 160 केंद्र बनाए जाएंगे, जिनमें अधिकतम
10% की वृद्धि भी हो सकती है।
जनसुविधाओं को विकसित करने के लिये पर्यटन विभाग निवेशकों को 10, 20, 35 तथा 50 लाख रुपए अथवा 50 फीसदी अनुदान देगा।
प्रो. सुधा सिन्हा को मिला दीनानाथ शरण सम्मान-2022
3 नवंबर, 2022 को बिहार की जानी-मानी दर्शनशास्त्री व कवयित्री प्रो. सुधा सिन्हा को पटना के चित्रगुप्त सामाजिक संस्थान की ओर से
दीनानाथ शरण सम्मान-2022 से सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु
ज्ञातव्य है कि प्रो. सुधा सिन्हा पटना विश्वविद्यालय की दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्ष रह चुकी हैं।
उल्लेखनीय है कि डॉ. दीनानाथ शरण मनुष्यता और जीवन-मूल्यों के एवं और मनीषी समालोचक थे। एक सजग कवि के रूप में उन्होंने
शोषण एवं पाखंड के विरुद्ध कविता को हथियार बनाया तथा जीवन भर वे साहित्य और पत्रकारिता की एकांतिक सेवा करते रहे।
दीनानाथ शरण की ख्याति उनके द्वारा प्रणित आलोचना-ग्रंथ ‘हिन्दी काव्य में छायावाद’ से हुई। उन्होंने नेपाल में हिन्दी के प्रचार में अत्यंत
महत्त्वपूर्ण कार्य करते हुए काठमांडू के त्रिभुवन विश्वविद्यालय में ‘हिन्दी-विभाग’की स्थापना भी की।
दीनानाथ शरण सम्मान प्रतिवर्ष दिया जाता है, जिसके अंतर्गत सम्मानित व्यक्ति को 11 हज़ार रुपए की सम्मान राशि के साथ वंदना-वस्त्र,
प्रशस्ति-पत्र तथा पुष्पहार प्रदान किये जाते हैं।
एंटी-फाइलेरिया अभियान
हाल ही में पटना समेत संपूर्ण बिहार में राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने फाइलेरिया (हाथीपाँव) को जड़ से समाप्त करने के लिये एंटी फाइलेरिया
अभियान की शुरुआत की है।
प्रमुख बिंदु
इस अभियान के अंतर्गत पूरे बिहार में 2 करोड़ 22 लाख 85 हज़ार 279 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा की खुराक देने का लक्ष्य बनाया
गया है। इसके साथ ही मलेरिया और कालाजार संचार परिसार भी जल्द ही शुरू किये जाएंगे।
अधिकारियों के मुताबिक इस साल जुलाई में एंटी फाइलेरिया ड्राइव की शुरुआत की गई थी, शुरुआत में नवादा, समस्तीपुर, रोहतास,
लखीसराय और नालंदा ज़िलों में इस अभियान के तहत फाइलेरिया रोधी दवाओं का वितरण किया गया था।
अभियान में आशा कार्यकर्त्ताओं और स्थानीय सरकारी स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं के माध्यम से पिछड़े गाँव और छोटे शहरों में हर घर में दवा
उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि लसीका फाइलेरिया उष्णकटिबंधीय रोगों में सबसे प्रचलित, लेकिन सबसे उपेक्षित बीमारियों में से एक है, जो इंसान को
दुर्बल बनाने के साथ गंभीर रूप से आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुँचाती है। यह एक मच्छरजनित बीमारी है।
‘मुख्यमंत्री हरित कृषि संयंत्र योजना’ केतहत हायरिंग मोबाइल ऐप लॉन्च
4 नवंबर, 2022 को बिहार के सहकारिता मंत्री सुरेंद्र प्रसाद यादव ने ‘मुख्यमंत्री हरित कृषि संयंत्र योजना’ के तहत हायरिंग मोबाइल ऐप को
लॉन्च किया। इस ऐप के ज़रिये किसान घर-बैठे अपने मोबाइल से कृषि उपकरणों की बुकिंग करा सकेंगे।
प्रमुख बिंदु
इसके साथ ही बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जो पूरी तरह से सरकारी ऐप विकसित कर लघु और सीमांत किसानों को भाड़े पर
कृषि यंत्र उपलब्ध कराएगा।
टैक्सी सर्विस लेने के लिये शहरों में लोग जिस तरह ऑनलाइन ऐप यूज़ करते हैं, उसी तरह बिहार के 1 करोड़ 80 लाख किसान अपने खेत
की जुताई के लिये ट्रैक्टर मँगा सकेंगे।
पैक्स बाज़ार रेट से कम दर पर किसान को भाड़े पर टैक्टर ही नहीं बल्कि 31 प्रकार के कृषि यंत्र उपलब्ध कराएगा।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री हरित कृषि संयंत्र योजना के माध्यम से पंचायत स्तर पर चयनित पैक्स में कृषि उपकरण बैंक स्थापित
किया गया है, इसके माध्यम से लघु एवं सीमांत किसानों को आधुनिक कृषि संयंत्रों की सेवा प्रतिस्पर्धी दर पर उपलब्ध कराई जा रही है।
किसान निर्धारित किराये पर आधुनिक कृषि यंत्रों की सेवा अपनी सुविधा के अनुसार हासिल करेंगे। किसानों की सुविधा के लिये सहकारिता
विभाग के टॉल फ्री नंबर 1800 1800 110 सुगम पर भी कृषि उपकरणों की बुकिंग की सुविधा उपलब्ध है। वर्तमान में 2828 पैक्सों को यह
सुविधा मिलेगी।
सहकारिता सचिव वंदना प्रेयसी ने ऐप के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री हरित कृषि योजना में प्रत्येक चयनित पैक्स को 15
लाख रुपए प्रति पैक्स की दर से योजना राशि 50 प्रतिशत अनुदान एवं 50 प्रतिशत ऋण के रूप में उपलब्ध कराई गई है।
पटना में विश्वस्तरीय गंगा पथ की तैयारी शुरू
7 नवंबर, 2022 को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया कि जेपी गंगा पथ को
जल्द ही सभी आयु वर्ग के लोगों के लिये विश्वस्तरीय और मनोरंजक सुविधाओं से जोड़ा जाएगा।
प्रमुख बिंदु
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया पर इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए कहा कि बैठक में फैसला लिया गया कि
गंगा पथ को सांस्कृतिक, खेल, मनोरंजन, वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एक बार विकसित होने के बाद, गंगा पथ इतना अद्भुत दिखाई देगा कि दुनिया भर से लोग गंगा नदी के किनारे
सड़क और प्रस्तावित सुविधाओं को देखने आएंगे। प्रस्तावों पर जल्द ही काम शुरू होगा।
सूत्रों के अनुसार गंगा पथ के पूरे खंड को विभिन्न समूहों में विकसित करने का प्रस्ताव है। स्पोर्ट्स कैटेगरी के तहत स्पीड बोट और जेट
स्कीइंग जैसी वाटर स्पोर्ट्स सुविधाओं की योजना बनाई गई है। इसी तरह, नदी के किनारे आगंतुकों को आकर्षित करने के लिये नियमित
रूप से सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करने की योजना है।
इसके अलावा, सभी गाड़ियाँ और कियोस्क के लिये एक वेंडिंग ज़ोन होगा। एक साइकिल ट्रैक भी प्रस्तावित है, जबकि सड़क के
सौंदर्यीकरण के लिये भूनिर्माण कार्य किया जाएगा।
दीघा और नासरीगंज के बीच गंगा के तट पर 5 किमी. लंबे जेपी गंगा पथ की परिकल्पना 2010 में पटना के विकास के लिये नीतीश कुमार
सरकार के विज़न 2021 के एक हिस्से के रूप में की गई थी। इसकी आधारशिला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2013 में रखी थी।
गौरतलब है कि दीघा और पीएमसीएच के बीच गंगा पथ के पहले चरण का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसी साल 24 जून को
किया था। परियोजना का यह चरण 4 किमी. लंबा है, जिसमें से 6.5 किमी. अर्ध-उन्नत है, जिसमें गंगा के किनारे 13 मीटर ऊँचा बांध बनाया
गया है।
बिहार में वज्रपात से बचाने को लगेगा हूटर
11 नवंबर, 2022 को बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्राधिकरण ने वज्रपात से लोगों को
बचाने के लिये सभी ज़िलों में हूटर लगाने का निर्णय लिया है, ताकि लोगों को 40 मिनट पहले वज्रपात की जानकारी मिल सके।
प्रमुख बिंदु
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस हूटर का इस्तेमाल औरंगाबाद, पटना व गया ज़िले में होगा। जनवरी
तक इसे आरंभ किया जाएगा।
अभी इंद्रवज्र ऐप से ठनका गिरने की सूचना 30 मिनट पहले दी जाती है। इस ऐप को सवा लाख से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया है,
लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में परेशानी दूर नहीं हो रही है। खेतों में काम करने वाले किसानों के पास मोबाइल उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें यह
संदेश नहीं मिल पा रहा है। इस कारण प्राधिकरण ने गाँवों में हूटर लगाने का निर्णय लिया है।
प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि हूटर की आवाज़ पाँच किमी. तक जाएगी। ठनका गिरने के आधे घंटे पहले हूटर बजेगा। खेतों में
काम करने वाले किसान भी इसकी आवाज़ सुनते ही सुरक्षित जगह पर चले जाएंगे।
इसके अलावा तड़ित चालक भी लगाया जाएगा, जिसकी शुरुआत की गई है। यह यंत्र सरकारी भवनों पर लगाया जाएगा और यह 130 मीटर
के क्षेत्र में गिरने वाले ठनका को अपनी ओर खींच लेगा।
गौरतलब है कि बिहार में वज्रपात से हर साल कई लोगों की मृत्यु होती है। बिहार में वज्रपात की घटनाएं बढ़ने से मरने वालों की संख्या भी
बढ़ी है। पिछले पाँच वर्षों में वज्रपात से 1475 लोगों की मौत हुई है।
जून, 2022 में जारी वार्षिक वज्रपात रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार बिहार बिजली गिरने के मामले में दसवें स्थान पर है। इस दौरान बिहार में
वज्रपात की 2,59,266 घटनाएँ दर्ज हुईं, जो कि 2020-21 की तुलना में 23 फीसदी कम हैं। इससे पहले वर्ष 2018 में पूरे देश में वज्रपात
से 3000 लोगों की मृत्यु हुई थी, जिनमें से 302 लोग बिहार के थे। वहीं 2019 में वज्रपात से मरने वालों की संख्या 221 रही।
बिहार में वज्रपात या किसी भी प्राकृतिक आपदा से मृत्यु होने पर मरने वाले लोगों के आश्रितों को सरकार की तरफ से अनुग्रह अनुदान राशि
के रूप में चार लाख रुपए का भुगतान किया जाता है।
विदित है कि आकाश में मौजूद बादलों के घर्षण से एक बिजली उत्पन्न होती है, जिससे ऋणात्मक आवेश (Negative charge)
उत्पन्न होता है। वहीं पृथ्वी में पहले से धनात्मक आवेश (Positive charge) मौजूद होता है। दोनों ऋणात्मक एवं धनात्मक आवेश
एक-दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं। जब इन दोनों आवेशों के बीच में कोई संवाहक (Conductor) आता है तो इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज
होता है, लेकिन आसमान में कोई संवाहक नहीं होता है तो यही इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज ठनका के रूप में धरती पर गिरती है।
एनटीपीसी के 48वें स्थापना दिवस पर कहलगांव को मिला ‘स्वर्ण शक्ति सुरक्षा पुरस्कार’
हाल ही में एनटीपीसी के 48वें स्थापना दिवस समारोह के ‘स्वर्ण शक्ति अवार्ड’ कार्यक्रम में बिहार के भागलपुर ज़िले के एनटीपीसी कहलगांव
को सुरक्षा (O&M) श्रेणी में उत्कृष्ट कार्य के लिये प्रतिष्ठित ‘स्वर्ण शक्ति ट्रॉफी’ से सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु
ज्ञातव्य है कि 48वें एनटीपीसी स्थापना दिवस समारोह का आयोजन 11 नवंबर को नई दिल्ली में किया गया था।
एनटीपीसी के द्वारा हर वर्ष कर्मचारियों को बेहतर प्रदर्शन करने और संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रेरित करने के उद्देश्य से
परियोजनाओं को एनटीपीसी स्वर्ण शक्ति पुरस्कार दिये जाते हैं।
यह पुरस्कार उत्पादकता, सुरक्षा, कर्मचारी संबंध, पर्यावरण संरक्षण और सुधार, राजभाषा, सर्वोत्तम स्वास्थ्य सुविधाएँ, सीएसआर तथा
सामुदायिक विकास और परियोजना प्रबंध के क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिये दिया जाता है।
विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जाविभाग के कैबिनेट मंत्री आरके सिंह की ओर से कार्यकारी निदेशक (पूर्व-प्) डीएसजीएसएस बाबजी
एवं कहलगांव परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक अरिंदम सिन्हा ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।
उल्लेखनीय है कि एनटीपीसी की कहलगांव परियोजना में प्लांट प्रचालन में इस वर्ष दुर्घटना दर शून्य रही तथा ओवर हालिंग कार्य भी दुर्घटना
मुक्त रहा। इस परियोजना में कर्मचारियों एवं कार्यरत् संविदाकर्मियों में सुरक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिये साल भर सुरक्षा विभाग
की ओर से सड़क सुरक्षा, विद्युत सुरक्षा, अग्नि सुरक्षा, गृह सुरक्षा विषय पर कार्यक्रम चलाए गए। इस कारण कहलगांव परियोजना को इस
क्षेत्र में देश की सभी एनटीपीसी परियोजनाओं में से श्रेष्ठ घोषित किया गया।
मैथिली साहित्य के प्रयोग धर्मी साहित्यकार आचार्य सोमदेव का निधन
14 नवंबर, 2022 को बिहार के भोजपुर ज़िले के मैथिली साहित्य के प्रयोगधर्मी साहित्यकार आचार्य सोमदेव का निधन हो गया।
प्रमुख बिंदु
वरिष्ठ साहित्यकार विभूति आनंद ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 24 फरवरी, 1934 को जन्मे सोमदेव ने मैथिली साहित्य में ‘यात्री-
नागार्जुन’ के बाद नई ऊर्जाभरी थी। प्रयोगवाद (कालध्वनि कविता संग्रह, जिसकी प्रख्यात भूमिका डॉ. धीरेंद्र ने लिखी थी) से शुरू होकर
उन्होंने कई तरह के प्रयोग किये।
पारंपरिक लोक धुनों को आधार बनाकर उन्होंने कई जनगीत लिखे, जो काफी चर्चित रहे। कविता में दोहा के साथ ही उन्होंने उपन्यास में भी
अलग तरह के प्रयोग किये। उनकी लिखी ‘चरपतिया’ लोगों की जुबान पर आज भी है।
गौरीशंकर, यानी सोमदेव ने दरभंगा को अपना कार्यक्षेत्र चुना था। एक दशक तक वे अपने पुत्र के साथ सहरसा में भी रहे।
साहित्य अकादमी से पुरस्कृत सोमदेव पॉकेट बुक्स के प्रयोग को पहली बार मैथिली में लाए। उन्होंने प्रयोग के तौर पर मैथिली में ‘होटल
अनारकली’ जैसे उपन्यास लिखे। सहसमुखी चौक पर, सोम पदावली, चरैवेति, चानोदाई जैसी उनकी किताबें चर्चित रहीं।
आचार्य सोमदेव ने यात्री-नागार्जुन की रचनाओं के साथ ही ‘मेघदूत’ व ‘नामदेव’ का मराठी अनुवाद भी किया। उनकी कथा ‘भात’माइल
स्टोन माना जाता है। उन्होंने ‘मिथिला भूमि’ व ‘मिथिला टाइम्स’जैसे पत्र-पत्रिकाओं का संपादन-प्रकाशन भी किया। नक्सलबाड़ी आंदोलन
के दौरान उन्होंने ‘अग्नि संकलन’का प्रकाशन तथा मैथिली की प्रख्यात पत्रिका ‘वैदेही’का संपादन भी किया था।
आचार्य सोमदेव को ‘यात्री चेतना पुरस्कार’, ‘सुभद्रा कुमारी चौहान शताब्दी पुरस्कार’आदि से भी सम्मानित किया जा चुका है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बिहार में किया परियोजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास
14 नवंबर, 2022 को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बिहार के बक्सर में 3,390 करोड़ रुपए की दो राष्ट्रीय
राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और रोहतास में एलिवेटेड पुल का शिलान्यास किया।
प्रमुख बिंदु
मंत्री नितिन गडकरी ने बक्सर में दो राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग-922 पर 1662 करोड़
रुपए की लागत से 44 किलोमीटर लंबा 4-लेन वाला कोइलवर से भोजपुर खंड तैयार किया गया है।
इसी तरह से राष्ट्रीय राजमार्ग-922 पर 48 किलोमीटर 4-लेन भोजपुर से बक्सर खंड 1728 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ है।
केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि इन दोनों परियोजनाओं के बनने से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से कनेक्टिविटी आसान होगी। इससे बिहार
से लखनऊ होते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुँचने में लगने वाला 15 घंटे का समय अब घटकर 10 घंटे हो जाएगा।
इस सड़क से आरा में ट्रैफिक जाम से लोगों को राहत मिलेगी और कृषि उत्पादों की नए बाज़ार तक पहुँच आसान होगी। वहीं गंगा पुल के
निर्माण से उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच यातायात सुगम हो जाएगा। इस मार्ग पर 37 अंडर पास पैदल चलने वालों और वाहनों की
आवाजाही की सुविधा प्रदान करेंगे।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बिहार के रोहतास में सोन नदी पर पंडुका के पास बनने वाले 5 किलोमीटर लंबे 2-लेन के एलिवेटेड आर.
सी.सी. पुल का शिलान्यास भी किया। इसके निर्माण पर 210 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है।
इस पुल के निर्माण से राष्ट्रीय राजमार्ग-19 और राष्ट्रीय राजमार्ग-39 सीधे जुड़ जाएंगे। पुल के बनने के बाद बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश
और छत्तीसगढ़ के बीच यातायात का आवागमन सुगम बनेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान में रोहतास ज़िले के पंडुका तथा झारखंड के गढ़वा ज़िले से श्रीनगर पहुँचने के लिये 150 किलोमीटर की
दूरी तय करनी पड़ती है और एलिवेटेड पुल के निर्माण से इस यात्रा समय में करीब चार घंटे की बचत होगी। अब पुल की मदद से डेहरी
पुल पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा और औरंगाबाद तथा सासाराम जैसे शहरों को जाम की समस्या से मुक्ति मिल सकेगी।
बिहार के हर ज़िले में खुलेंगे ‘भूकंप क्लीनिक’
16 नवंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार राज्य सरकार ने भूकंप से बचाव के क्रम में राज्य के हर ज़िले में ‘भूकंप
क्लीनिक’ खोलने का फैसला किया है।
प्रमुख बिंदु
जानकारी के अनुसार इस पहल के तहत राज्य की राजधानी पटना, मुज़फ्फरपुर और भागलपुर में ये क्लीनिक खुल चुके हैं।
गौरतलब है कि इन दिनों एक के बाद एक भूकंप के झटके आ रहे हैं। कई बार भूकंप के कारण जान-माल का काफी नुकसान भी होता है।
भूकंप से होने वाले नुकसान से बचने के लिये कई तरह की पहल राज्य सरकारें करती हैं, जैसे- लोगों में सुरक्षा उपायों को लेकर जागरूकता
फैलाना आदि। इसी क्रम में बिहार सरकार ने यह पहल शुरू करते हुए प्रदेश के हर ज़िले में भूकंप क्लीनिक खोलने का निर्णय लिया है।
इन क्लीनिक में लोगों को ऐसे इलाकों में बनने वाले ईंट और सीमेंट से बने मकान के बारे में बताया जाएगा। यहाँ इंजीनियर बताएंगे कि मकान
की नींव किस तरह से तैयार की जाए, साथ ही पिलर की गहराई, सरिया का साइज और इस्तेमाल किस तरह से किया जाए। इसके साथ ही
मकान में वेंटिलेशन के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। इसी तरह बांस और घास-फूस से बनने वाले मकानों को सुरक्षित रखने के बारे में
भी जानकारी दी जाएगी।
कई बार ऐसा भी होता है कि भूकंप का डर दिखा कर बिल्डर लोगों को गुमराह करते हैं और अपनी मार्केटिंग भी करते हैं। ऐसे में भूकंप
क्लीनिक लोगों में जागरूकता भी फैलाएगी।
भूकंप क्लीनिक में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल की टीमें लोगों को इसके खतरे से आगाह करती हैं। वे इसके लिये मॉक ड्रिल आदि
करती हैं। भूकंप आने के समय कैसे अपना बचाव करें, इसकी ट्रेनिंग भी भूकंप क्लीनिक में दी जाती है। इसके अलावा भूकंप बाहुल्य
इलाकों में किस तरह से घरों का निर्माण किया जाए, आपदा प्रभावित मकानों को दोबारा कैसे बनाएँ आदि के बारे में भी इन भूकंप
क्लीनिक में बताया जाता है।
भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कहीं भी, कभी भी आ सकती है। भूकंप की संभावना को देखते हुए क्षेत्रों को सिसमिक ज़ोन के
आधार पर बाँटा जाता है। बिहार को सिसमिक ज़ोन-4 के अंतर्गत रखा गया है। विशेषज्ञों के अनुसार सिसमिक ज़ोन 4 को देखते हुए अगर
बिहार में .5 की तीव्रता का भूकंप आए तो इससे बड़े पैमाने पर नुकसान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
बिहार के हर ज़िला मुख्यालय में सिमुलतला मॉडल का होगा एक स्कूल
18 नवंबर, 2022 को बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने पटना के विकास भवन स्थित सचिवालय में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए
बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने की दिशा में राज्य के हर ज़िला मुख्यालय स्तर पर सिमुलतला आवासीय विद्यालय की तर्ज़ पर स्कूल
खोले जाएंगे।
प्रमुख बिंदु
प्रो. चंद्रशेखर ने बताया कि सिमुलतला आवासीय विद्यालय स्कूली शिक्षा का बेहतर मॉडल है। इस विद्यालय ने कई टॉपर्सदिये हैं तथा इस
स्कूल में प्रवेश परीक्षा के ज़रिये प्रवेश दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि बिहार में शिक्षकों के 38 लाख पद खाली हैं। हालाँकि, इतने पद भरने के लिये समुचित संख्या में सीटीईटी/एसटीईटी पास
अभ्यर्थी ही नहीं हैं। इन सबके बाद भी सातवें चरण का शिक्षक नियोजन जल्द शुरू होगा और इसकी तैयारी अंतिम दौर में है।
उन्होंने बताया कि शिक्षकों के स्थानांतरण के लिये ठोस नीति बनाई जाएगी। शिक्षकों में विशेषतौर पर महिला, दिव्यांग और ज़रूरतमंद
शिक्षकों के तबादले ज़रूरी हो गए हैं। सरकार इस दिशा में गंभीर कदम उठाएगी।
बिहार में बनेगी सीता माता की 251 फीट ऊँची प्रतिमा
19 नवंबर, 2022 को बिहार के सांसद सुनील कुमार पिंटू ने बताया कि राज्य के सीतामढ़ी ज़िले के राधोपुर बखरी में सीता माता की 257
फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी शुरू हो गई है। इसका निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
विदित है कि देश में सीता माता की सबसे ऊँची प्रतिमा सीतामढ़ी के राधोपुर बखरी में स्थापित होगी। इसका निर्माण रामायण रिसर्च काउंसिल
द्वारा करवाया जाएगा।
सुनील कुमार ने बताया कि राधोपुर बखरी के मंहत के काउंसिल को 18 एकड़ 40 डिसिमल की ज़मीन दान में दी गई है। आसपास के
किसानों ने भी करीब 6 एकड़ की ज़मीन देने का एग्रीमेंट किया है। कुल मिलाकर काउंसिल ने अब तक 39 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट कर
लिया है। इस संबंध में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी चर्चा हुई है।
उन्होंने बताया कि सीतामढ़ी में हर धर्म और वर्ग के लोग इस प्रतिमा को बनाने में सहयेाग कर रहे हैं। यहाँ देश का पहला सांस्कृतिक दूतावास
केंद्र भी स्थापित किया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि सीतामढ़ी में स्थापित होने वाली सीता माता की प्रतिमा के प्रचार-प्रसार के लिये 14 जनवरी से रथयात्रा रवाना की जाएगी। यह
रथयात्रा पूरे देश में भ्रमण करेगी।
बिहार में फिल्म निर्माण क्षेत्र को भी मिलेगी उद्योग की तरह सब्सिडी
21 नवंबर, 2022 को बिहार में फिल्म निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिये राज्य सरकार ने फिल्म निर्माण क्षेत्र को भी उद्योग का दर्जा देने हेतु
नई फिल्म पॉलिसी बनायी है, जल्द ही फिल्मी पॉलिसी से संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट की मंज़ूरी के लिये भेजे जाएंगे।
प्रमुख बिंदु
बिहार के कला, संस्कृति एवं युवा कार्य विभाग ने फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करने वाली पॉलिसी को अंतिम रूप दिया है।
फिल्मों को उद्योग का दर्जामिलने से फिल्म निर्माण में लगे लोगों को भी उद्योग की तरह सब्सिडी, सिंगल विंडो सिस्टम व दूसरी सुविधाओं
के लाभ मिलेंगे।
नई नीति के तहत अगर कोई निर्माता अपनी फिल्म की 75 फीसदी शूटिंग बिहार में करता हैं, तो उसे लागत के हिसाब से सब्सिडी दी जाएगी।
फिल्म निर्माण संबंधी सभी तरह की क्लियरेंस लेने के लिये सिंगल विंडो सिस्टम का प्रावधान किया गया है, इसके लिये बिहार फिल्म निर्माण
निगम को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
अभी सब्सिडी का लाभ हिन्दी, भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और बज्जिका भाषा में फिल्म बनाने वालों को मिलेगा।
नये प्रावधान के अनुसार यदि किसी फिल्म को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव में पुरस्कृत किया जाता है तो उसे अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी।
नई फिल्म नीति में मल्टीप्लैक्स और सिनेमा हॉल में इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिये भी सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। अभी राज्य में
कई सिनेमा हॉल बंद हैं या आधुनिक तरीके से नहीं बने हुए हैं। इसमें लागत के हिसाब से सब्सिडी दी जाएगी।
इस पॉलिसी से सरकार को उम्मीद है कि राज्य में रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, राज्य में फिल्मों की शूटिंग होने से स्थानीय कलाकारों और
तकनीशियनों को रोज़गार और सम्मान मिलेगा। राज्य फिल्म विकास निगम ऐसे कलाकारों और तकनीशियनों की सूची तैयार कर उनका
पारिश्रमिक भी निर्धारित करेगा।
फिल्म विकास के लिये सरकार ने पर्यटन विभाग से ज़िम्मेदारी लेते हुए कला, संस्कृति एवं युवा विभाग को दे दी है। विभाग ने इसके लिये
फिल्म विकास निगम को नोडल एजेंसी बनाया है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में गांधी, गया में मांझी द माउंटेन मैन एवं पटना में गंगा किनारे गांधी घाट पर हॉफ गर्लफ्रेंड जैसी सुपरहिट फिल्मों
की शूटिंग हो चुकी है।
IIT पटना नेNITIE मुंबई के साथ समझौतेपर किया हस्ताक्षर, अब बीटेक के साथ होगी
एमबीए की पढ़ाई
22 नवंबर, 2022 को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग (नीटी) मुंबई के साथ आईआईटी पटना ने इंटीग्रेटेड डुअल डिग्री
प्रोग्राम के लिये एमओयू साइन किया है, जिसके तहत IIT पटना के छात्र अब बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बीटेक) के साथ-साथ मास्टर ऑफ
बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) की पढ़ाई भी कर सकते हैं।
प्रमुख बिंदु
आईआईटी के निदेशक प्रो. टीएन सिंह ने बताया कि इंटीग्रेटेड डुअल डिग्री प्रोग्राम पाँच साल की अवधि का होगा। यह आईआईटी पटना
और नीटी मुंबई के परिसर में पूर्णकालिक आवासीय कार्यक्रम होगा। इच्छुक और योग्य स्टूडेंट्स बीटेक कोर्सवर्क के साथ-साथ तीसरे वर्ष
से आवश्यक कोर्सवर्क शुरू करेंगे।
अंतिम सेमेस्टर (आठवें सेमेस्टर) में स्टूडेंट्स अगले 18 महीनों में कार्यक्रम को पूरा करने के लिये नीटी मुंबई के परिसर में जा सकेंगे। बीटेक
और एमबीए की डिग्री आईआईटी पटना देगा।
छात्र एमबीए के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं। स्टूडेंट्स मार्केटिंग, बिज़नेस, फाइनांस, प्रोजेक्ट एनालिटिक्स, नवाचार और
उद्यमिता के साथ-साथ 10 अलग-अलग क्षेत्रों की विशेषता हासिल कर सकेंगे। समझौता ज्ञापन के अनुसार दोनों संस्थान अपनी-अपनी क्षमता
के आधार पर स्टूडेंट्स को प्रशिक्षित करेंगे।
प्रो. टीएन सिंह ने कहा कि आईआईटी पटना वर्तमान में इंजीनियरिंग और विज्ञान में स्नातक एवं स्नातकोत्तर कार्यक्रम चला रहा है। इस सहयोग
का उद्देश्य बाज़ार की अन्य ज़रूरतों को पूरा करना और स्टूडेंट्स के बीच तकनीकी-प्रबंधकीय क्षमता विकसित करना है।
स्टूडेंट्स तकनीकी संस्थानों में तकनीकी विषयों में और नीटी मुंबई में प्रबंधकीय कौशल में अपने कौशल का विकास करेंगे। इसके बाद ये
सभी स्टूडेंट्स व्यापार जगत और बाज़ार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की बढ़ती मांग पर काम करेंगे। इन्हीं ज़रूरतों को
ध्यान में रखते हुए इंटीग्रेटेड डुअल डिग्री शुरू की जाएगी।
गौरतलब है कि NITIE को लगातार भारत के शीर्षबी-स्कूलों में स्थान मिला है। नीटी देश की बढ़ती इंजीनियरिंग और प्रबंधन की ज़रूरतों
को पूरा करने के लिये कुशल पेशेवरों को तैयार करने हेतु प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान को शिक्षा मंत्रालय द्वारा पीएम
गति शक्ति मास्टर प्लान को बढ़ावा देने के लिये नोडल हब के रूप में नामित किया गया है।
बिहार के 1890 सरकारी स्कूलों को मिली सोलर पावर
हाल ही में बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया गया कि ‘जल-जीवन-हरियाली
अभियान’ के तहत बिहार के 1890 सरकारी स्कूलों में रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट लगाए गए हैं।
प्रमुख बिंदु
राज्य के इन सरकारी स्कूलों की छत पर जो रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट लगाए गए हैं, वे प्लांट ग्रिड कनेक्टेड हैं।
दीपक कुमार सिंह ने बताया कि इन स्कूलों में 1230 विद्यालय ऐसे हैं, जिनका स्वीकृत विद्युत भार दो किलोवाट पीक है।
उन्होंने बताया कि जिन ज़िलों में शिक्षा भवन का निर्माण किया जा चुका है, वहाँ बुनियादी विद्यालय एवं कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय
विद्यालयों की छत पर रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट लगाए जाएंगे।
बिहार अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (ब्रेडा) के निदेशक ने बताया कि पाँच किलोवाट पीक से ऊपर स्वीकृत विद्युत भार का कनेक्शन
जिन भवनों में हैं, वहाँ थ्री फेज कनेक्शन लेना अनिवार्य है तथा यह कनेक्शन ब्रेडा लगाएगा।
बैठक में निर्णय लिया गया कि डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (डाइट) के प्रशासनिक भवनों में 15 किलोवाट पीक का
हाइब्रीड सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा। इसके अलावा अन्य भवनों पर ग्रिड कनेक्टेड रूफ टॉप पावर प्लांट भी लगाए जाएंगे।
बैठक में ब्रेडा निदेशक ने शिक्षा विभाग के अफसरों से अनुरोध किया कि जिन विद्यालयों में दो किलोवाट पीक से कम विद्युत भार का
कनेक्शन है, वहाँ उपभोक्ता संख्या बताई जाए, ताकि ज़िले की एजेंसी को बताया जा सके।
बैठक में बताया गया कि शिक्षा विभाग के सभी स्कूलों एवं अन्य भवनों में सोलर पॉवर प्लांट लगाए जाएंगे। इसके अलावा आईआईटी पटना
बिहार के 50 मॉडल उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अत्याधुनिक विज्ञान लैब स्थापित करेगा।
मॉडल विज्ञान लैब की स्थापना दो चरणों में की जानी है। प्रथम चरण में पटना ज़िले के सात उच्च माध्यमिक विद्यालयों में एक करोड़ पाँच
लाख रुपए की लागत से विज्ञान लैब स्थापित की जाएगी तथा दूसरे चरण में शेष 43 लैब स्थापित की जाएगी। प्रत्येक ज़िले में कम से कम
एक मॉडल लैब जरूर स्थापित की जानी है।
‘गंगाजल आपूर्ति योजना’
27 नवंबर, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर में महत्त्वाकांक्षी ‘गंगाजल आपूर्तियोजना’ का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
दूरगामी अभियान ‘जल-जीवन-हरियाली’के तहत गंगा नदी के अधिशेष जल को दक्षिण बिहार के जल संकट वाले शहरों तक ले जाकर
पेयजल के रूप में उपयोग करने की यह मुख्यमंत्री की अनूठी परिकल्पना है। उनकी अध्यक्षता में दिसंबर 2019 में गया में हुई कैबिनेट की
विशेष बैठक में अतिमहत्त्वाकांक्षी ‘गंगा जल आपूर्तियोजना’को मंज़ूरी दी गई थी।
मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में जल संसाधन विभाग ने तत्परता से काम करते हुए इतनी बड़ी योजना को कोरोना काल की चुनौतियों के बावजूद
तीन साल से कम समय में पूरा कराया है।
गंगा जल को 11 शक्तीशाली पंप के ज़रिये हाथीदह से राजगीर, गया, बोधगया और नवादा पहुँचाया गया है। राजगीर में इसके लिये डिटेंशन
सेंटर बनाया गया है।
गंगा जल पाइपलाइन के ज़रिये 151 किमी. सफर तय करके राजगीर, गया और बोधगया के जलाशयों में पहुँचा है, जहाँ से यह शोधित होकर
शुद्ध पेयजल के रूप में रोज लाखों लोगों की प्यास बुझाएगा।
इस योजना के तहत राजगीर शहर के 19 वार्डों के करीब 8031 घरों, गया शहर के 53 वार्डों के करीब 75000 घरों और बोधगया शहर के
19 वार्डों के करीब 6000 घरों में शुद्ध पेयजल के रूप में गंगाजल की आपूर्ति की जाएगी। योजना के तहत प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन 135 लीटर
शुद्ध जल की आपूर्ति का लक्ष्य है।
इसके अलावा शहर के संस्थानों, अस्पतालों, होटलों आदि को भी जल की आपूर्ति की जाएगी, ताकि इन शहरों में बड़ी संख्या में आने वाले
पर्यटकों तथा श्रद्धालुओं के लिये भी शुद्ध जल की आपूर्ति हो सके। राजगीर जू सफारी में रखे गए जीव-जंतुओं तथा नेचर सफारी की
वनस्पतियों को भी गंगा जल की आपूर्ति होगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जरासंध के अखाड़े के पास जरासंध स्मारक बनवाया जाएगा। इससे पर्यटकों का ज्ञानवर्धन होगा।
राष्ट्रपति पदक हेतु बिहार के 29 पुलिस कर्मियों के नामों की अनुशंसा
28 नवंबर, 2022 को मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार सरकार के द्वारा राज्य के 29 पुलिस अफसरों और कर्मियों के नामों की
अनुशंसा राष्ट्रपति पदक के लिये की गई है।
प्रमुख बिंदु
गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति के द्वारा दिये जाने वाले पदक के लिये जिन पुलिसकर्मियों को पात्र समझा गया है उनके नामों को बिहार
सरकार के द्वारा गृह मंत्रालय भेजा गया है। इनमें विशिष्ट और सराहनीय सेवा पदक के लिये अनुशंसा की गई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विशिष्ट सेवा पदक के लिये 7 पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के नाम तथा सराहनीय सेवा के लिये 22
पुलिसकर्मियों के नाम भेजे गए हैं। विशिष्ट सेवा पदक कैटेगरी में कुल 7 अफसरों के नामों में तीन आइपीएस अधिकारी और चार दूसरे रैंक
के अधिकारी शामिल हैं।
आइपीएस अधिकारी एडीजी रवींद्रन शंकरण, एडीजी पारसनाथ और एडीजी बच्चुसिंह मीणा और चार दूसरे रैंक के अधिकारी विनय कुमार
शर्मा, बिनय कृष्ण, दिलीप कुमार सिंह एवं रंजीत कुमार के नामों की अनुसंशा की गई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सराहनीय सेवा पदक के लिये जिन पुलिसकर्मियों के नामों की अनुशंसा की गयी है उनमें रुपेश थापा, संजय
कुमार चौरसिया, संजय कुमार, मुख्तार अली, धनंजय कुमार, धर्मराज शर्मा, बैद्यनाथ कुमार, आलोक कुमार, अक्षयबर पांडेय, सत्येंद्र कुमार,
सिकंदर कुमार, पंचरत्न प्रसाद गौंड, आलमनाथ भूइया, देवेंद्र कुमार, संतोष कुमार दीक्षित, संजय कुमार शेखर, सरवर खाँ, ओम प्रकाश सिंह,
रासबिहारी चौधरी और विनय कुमार आदि शामिल हैं।
गौरतलब है कि हर साल दो बार राष्ट्रपति पदक पुलिसकर्मियों को दिये जाते हैं। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के पूर्व नाम तय कर
दिये जाते हैं और चयनीत पुलिसकर्मियों के नामों की घोषणा कर दी जाती है। राज्य सरकार और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के द्वारा नामों की
अनुशंसा गृह मंत्रालय को भेजी जाती है और मंत्रालय के अधीन स्क्रीनिंग कमेटी इसकी समीक्षा करके नामों का चयन पदक के लिये करती है।
बिहार कैबिनेट ने 31 बड़े फैसलों पर लगाई मुहर
29 नवंबर, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पटना में हुई कैबिनेट बैठक में 31 अहम एजेंडों पर मुहर लगाई
गई।
प्रमुख बिंदु
कैबिनेट की बैठक में लिये गए कुछ महत्त्वपूर्णनिर्णय इस प्रकार हैं-
कैबिनेट की बैठक में बिहार पुरातत्त्व एवं संग्रहालय सेवा संशोधन के गठन को मंज़ूरी मिली है। इसके अलावा बिहार उत्पाद नियमावली
2001 में संशोधन का प्रकाशन करने की स्वीकृति मिली है।
इस बैठक में समेकित बाल विकास सेवाएँ योजना के अंतर्गत सेविका चयन मार्गदर्शिका 2022 को स्वीकृति मिली है। इसके अलावा
अब सेविका चयन प्रक्रिया ऑनलाइन तरीके से होगी, जबकि सेविका के लिये इंटर और सहायिका के लिये न्यूनतम मैट्रिक योग्यता तय
की गई है।
सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि पर प्रतिवर्ष 15 दिसंबर को राजकीय समारोह के रूप में मनाई जाएगी।
शराब और ताड़ी उत्पादन से जुड़ेनिर्धन परिवार को आर्थिक मदद देने की योजना बनाई गई है, जिसके लिये कुल 610 करोड़ रुपए की
स्वीकृति दी गई है।
आतंकवाद, सांप्रदायिक, नक्सली हिंसा, सीमा पार से गोलीबारी एवं बारूदी सुरंग विस्फोट से पीड़ित सिविल व्यक्तियों को भी सहायता
हेतु केंद्रीय योजना की सूची मार्गदर्शिका 2022 के प्रारूप को बिहार में भी लागू करने की स्वीकृति मिली है।
उद्योग विभाग के तहत संजीवन राइस मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को वित्तीय स्वीकृति दी गई है।
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