बिहार में कब होगी जातीय जनगणना
1 जून, 2022 को जातीय जनगणना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय
लिया गया कि बिहार में सभी धर्मों की जातियों और उपजातियों की गणना होगी।
प्रमुख बिंदु
मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना कराने का उद्देश्य लोगों को आगे बढ़ाना है ताकि राज्य का कोई भी व्यक्ति उपेक्षित न रहे।
मुख्यमंत्री ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना के लिये केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया था, किंतु राष्ट्रीय
स्तर पर इसके आयोजन से इनकार के बाद राज्यस्तर पर करने का निर्णय लिया गया है।
गौरतलब है कि 23 अगस्त, 2021 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मिलकर देश में जातीय
जनगणना कराने का आग्रह किया था, साथ ही इससे पहले भी देश में जातीय जनगणना कराने के लिये बिहार विधानसभा से वर्ष 2019 तथा
2020 में दो बार प्रस्ताव पारित किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि जातीय जनगणना आखिरी बार वर्ष 1931 में की गई थी, हालाँकि वर्ष 2011 में सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना
आयोजित की गई थी, किंतु केंद्र सरकार द्वारा इसके जातीय आंकड़ों को जारी नहीं किया गया था।
बिहार केखुरमा, तिलकुट और बालूशाही को GI टैग दिलानेकी कोशिश
हाल ही में नाबार्ड के महाप्रबंधक डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि नाबार्ड बिहार के खुरमा, तिलकुट और बालूशाही को जीआई टैग दिलाने
में मदद करेगा।
प्रमुख बिंदु
डॉ. सुनील ने बताया कि जीआई टैग दिलाने हेतु नाबार्ड द्वारा इन मिठाइयों की विशेषताओं और उनके स्रोत की जानकारी प्राप्त करने के बाद
उत्पादकों से आवेदन करने के लिये कहा जाएगा।
गौरतलब है कि बिहार में गया का तिलकुट, सीतामढ़ी की बालूशाही और भोजपुर ज़िले के उदवंतनगर का खुरमा अत्यधिक प्रसिद्ध है।
बिहार के कई उत्पादों को पहले से ही GI टैग प्रदान किया जा चुका है, जिनका विवरण निम्न प्रकार है-
भागलपुरी जरदालू आम
कतरनी चावल
मगही पान
शाही लीची
मधुबनी पेंटिंग
पिपली कार
गिद्धेश्वर पर्वत पर मिलेपुरातात्त्विक अवशेष
हाल ही में बिहार के जमुई ज़िला के ज़िलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के अन्वेषण में भगवान महावीर
की जन्मस्थली लछुआर के पास गिद्धेश्वर पर्वत की चट्टानों में प्राचीन काल के मानव के सांस्कृतिक क्रियाकलापों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
प्रमुख बिंदु
जमुई ज़िले में अवस्थित गिद्धेश्वर पर्वत के घने जंगलों में पुरातात्त्विक अन्वेषण का कार्य डॉ. रवि शंकर गुप्ता के निर्देशन में पटना स्थित
बिहार संग्रहालय द्वारा किया जा रहा है।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि गिद्धेश्वर पर्वतमाला में काफी बड़े-बड़े शैलाश्रय हैं, जिनमें अनेक शैलचित्र के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
गिद्धेश्वर से अन्वेषण में प्राप्त पुरातात्त्विक अवशेष प्रागैतिहासिक काल के बताए जाते हैं।
बिहार के दो ज़िलों मेंपेट्रोलियम भंडार की खोज की ONGC को मिली मंज़ूरी
6 जून, 2022 को बिहार सरकार ने राज्य के समस्तीपुर और बक्सर ज़िलों में तेल रिज़र्व की मौज़ूदगी का आकलन करने के लिये ओएनजीसी
को पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन लाइसेंस (पीईएल) की मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
उल्लेखनीय है कि गंगा बेसिन में समस्तीपुर और बक्सर में तेल भंडार की जानकारी मिलने के बाद ओएनजीसी ने दोनों ब्लॉकों में खोज के
लिये लाइसेंस के लिये आवेदन किया था।
समस्तीपुर में 308.32 वर्ग किमी. क्षेत्र में तेल की खोज अत्याधुनिक तकनीक से की जानी है। वहीं बक्सर के 52.13 वर्ग किमी. क्षेत्र में
पेट्रोलियम पदार्थ की खोज की जाएगी।
पहला चरण नवीनतम भूकंपीय डाटा रिकॉर्ड़िग प्रणाली का उपयोग करके 2डी भूकंपीय सर्वेक्षण करने का होगा। इसके बाद उन्नत तकनीक
का उपयोग करके भू-रासायनिक सर्वेक्षण शुरू होगा। सर्वेक्षणों को आने वाले दिनों में गुरुत्वाकर्षण चुंबकीय और मैग्नेटो-टेल्यूरिक (एमटी)
सर्वेक्षणों के साथ पूरा किया जाएगा।
गौरतलब है कि बिहार के कुछ हिस्सों में पहले भी तेल भंडार की खोज की जा चुकी है, लेकिन कोई व्यावसायिक सफलता हाथ नहीं लगी
थी। हालाँकि, इसने आगे की खोज के लिये मूल्यवान भूवैज्ञानिक जानकारी जुटाने में मदद की थी।
देश के सबसे बड़े स्टील ब्रिज के रूप में बेशुमार हुआ पटना का गांधी सेतु
7 जून, 2022 को बिहार राज्य के पटना में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और राज्य के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार
ने महात्मा गांधी सेतु के पूर्वी छोर का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
देश में 35 साल तक सबसे लंबा पुल रहे महात्मा गांधी सेतु का पूर्वी लेन 5 साल बाद बनकर तैयार हुआ है।
यह सेतु पटना से लेकर उत्तरी बिहार के लिये लाइफ लाइन होगा, अब 15 मिनट में ही पटना से वैशाली की दूरी तय हो जाएगी।
इसे सीमेंटेड की जगह स्टील से बनाया गया है। यह सेतु देश का सबसे बड़ा स्टील ब्रिज है। यह 5.6 किमी. लंबा है।
इस तरह का स्टील ब्रिज देश में पहली बार बनकर तैयार हुआ है। इसके निर्माण में 67 हज़ार टन लोहे का इस्तेमाल हुआ है।
विदित है कि महात्मा गांधी सेतु को 13,585 करोड़ रुपए की लागत से 15 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के तहत तैयार किया गया है।
बिहार टेक्सटाइल और लेदर पॉलिसी, 2022 लॉन्च
8 जून, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने पटना के अधिवेशन भवन में निवेशक सम्मेलन (इन्वेस्टर्स मीट) सह बिहार टेक्सटाइल
और लेदर पॉलिसी, 2022 (Bihar Textile and Leather Policy, 2022) को लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु
उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नई नीति से बिहार में उद्योग लगाने वाले निवेशकों को काफी लाभ होगा। राज्य जल्द ही
देश का एक प्रमुख टेक्सटाइल हब बन जाएगा।
टेक्सटाइल व लेदर पॉलिसी में पूँजीगत अनुदान, रोज़गार अनुदान, विद्युत अनुदान, फ्रेट अनुदान पेटेंट अनुदान, कौशल विकास अनुदान, समेत
कई तरह के प्रोत्साहन का प्रावधान है। ऋण पर ब्याज अनुदान, एसजीएसटी का रिइंबर्समेंट, स्टैंप शुल्क में छूट, निबंधन, भूमि सपरिवर्तन पर
छूट जैसे प्रावधान हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य बिहार को इस क्षेत्र के घरेलू और वैश्विक निवेशकों के लिये निवेश के प्रमुख संभावित
केंद्र के रूप में विकसित करना तथा कपड़ा और चमड़ा व्यवसाय शुरू करने वाले उद्यमियों के लिये कई प्रकार के प्रोत्साहन देना है।
नई नीति के तहत संयंत्र एवं मशीनरी के लिये पूँजीगत निवेश पर लागत का 15 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा, जो अधिकतम 10 करोड़ रुपए
तक होगा। इसके अलावा बिजली शुल्क का अनुदान दो रुपए प्रति यूनिट होगा।
उद्योग में कार्यरत कर्मचारियों को 5,000 रुपए प्रतिमाह की दर से पाँच वर्षों के लिये अनुदान दिया जाएगा। निर्यात के लिये संबंधित इकाईयों
को 30 प्रतिशत परिवहन सब्सिडी दी जाएगी।
नई नीति के तहत पाँच साल तक माल ढुलाई पर 10 लाख रुपए प्रतिवर्ष अनुदान दिया जाएगा। अपने उत्पाद को पेटेंट कराने पर रजिस्ट्रेशन
खर्च का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा, जो अधिकतम 10 लाख रुपए होगा।
राज्यपाल ने राजभवन की नई वेबसाइट लॉन्च की
9 जून, 2022 को बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने राजभवन, बिहार की नई वेबसाइट को लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु
भारत सरकार द्वारा निर्धारित सभी मानकों के आधार पर तैयार की गई यह वेबसाइट हिन्दी एवं अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।
एनआईसी, राजभवन द्वारा विकसित इस वेबसाइट में अनेक नए फीचर्स जोड़े गए हैं। इसका रिस्पॉन्स टाइम और यूजर इंटरपेस पूर्व की
वेबसाइट की तुलना में अत्यंत ही सुगम है।
इसमें स्क्रीन रीडर की सुविधा उपलब्ध होने के कारण दिव्यांगजन भी इसका उपयोग कर सकते हैं। मोबाइल और टैबलेट उपकरण के माध्यम
से भी इस वेबसाइट को खोलकर देखा जा सकता है।
इस वेबसाइट पर महामहिम राज्यपाल से संबंधित सूचनाएँ, तिथिवार उनके भाषण एवं संदेश तथा फोटो गैलरी में विभिन्न कार्यक्रमों के चित्र
उपलब्ध हैं।
इसके अतिरिक्त इस पर राज्यपाल सचिवालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना, परिपत्र, आदेश, प्रेस-विज्ञप्ति, विश्वविद्यालयों एवं उनके
कुलपति, प्रतिकुलपति एवं रजिस्ट्रार से संबंधित अद्यतन जानकारियाँ इत्यादि भी उपलब्ध हैं।
मछली उत्पादन में बिहार देश में चौथे स्थान पर
10 जून, 2022 को बिहार के ऊर्जा और योजना विकास मंत्री एवं योजना परिषद के उपाध्यक्ष बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि बिहार मछली
उत्पादन में देश भर में चौथे स्थान पर पहुँच गया है।
प्रमुख बिंदु
वर्ष 2007-08 में राज्य में 2.88 लाख टन सालाना मछली उत्पादन होता था, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 7.62 लाख टन हो गया है।
इसी तरह प्रदेश में दूध उत्पादन भी दोगुना हो गया है। वर्ष 2007-08 में 57.7 लाख टन दूध उत्पादन था, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 115.2
लाख टन हो गया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 से राज्य ने कृषि रोडमैप के कार्यान्वयन से दूध, अंडा एवं मछली के रिकॉर्ड उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हासिल
की है।
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव डॉ. एन. सरवण कुमार ने बताया कि प्रथम कृषि रोडमैप से पहले वित्तीय वर्ष 2007-08 में राज्य
का वार्षिक मांस उत्पादन 1.80 लाख टन था, जो बढ़कर वर्ष 2020-21 में 3.86 लाख टन हो गया।
सरवण कुमार ने बताया कि राज्य में पशुपालकों के द्वार तक पशु चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिये डोर स्टेप डिलीवरी की योजना ज़ल्द
लागू होगी। इसकी स्वीकृति दी जा चुकी है।
सभी गाँवों तक दुग्ध समितियों की पहुँच सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2024-25 तक 7,000 नई दुग्ध समितियों के गठन का लक्ष्य है। इसके
विरुद्ध इस साल मई तक 1639 नई समितियों की स्थापना की जा चुकी है। सभी प्रखंडों में 600 सुधा के बिक्री केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
ग्राम पंचायतों में डिजिटल हस्ताक्षर के बगैर नहीं होगा भुगतान
हाल ही में शासन ने भ्रष्टाचार पर वार करते हुए अब पश्घ्चघ्म चंपारण ज़िले की ग्राम पंचायतों में डोंगल लागू कर दिया है। इसके तहत सभी
ग्राम पंचायतों के मुखिया व सचिवों को ‘डिजिटल सिग्नेचर’ बनाना आवश्यक है।
प्रमुख बिंदु
10 जून, 2022 को बिहार राज्य के पश्चिमी चंपारण के बीडीओ पंकज कुमार ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य शासन ने 15वीं वित्त
आयोग की राशि निकासी के लिये डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट आवश्यक कर दिया है।
अब बिना डिजिटल सिग्नेचर के राज्य वित्त व 15वें वित्त की धनराशि का भुगतान नहीं हो पाएगा। शासन की ओर से वित्तीय राशि निकासी
में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर यह कदम उठाए गए हैं।
डिजिटल सिग्नेचर नहीं बनवाने के चलते एक दर्जन ग्राम पंचायतों के खाता संचालन पर रोक लगा दी गई है।
बीडीओ ने बताया कि पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश के आलोक में ग्राम स्वराज पोर्टल पर ऑनबोर्ड़िग की प्रक्रिया के तहत
डीएससी रजिस्ट्रेशन, वेंडर एजेंसी, रजिस्ट्रेशन, लेखांकन एवं अन्य तकनीकी कार्य के लिये निर्देश दिया गया है, जिससे जनप्रतिनिधियों को
अवगत होना अति आवश्यक है, ताकि विकास योजनाओं को गति मिल सके।
बिहार में थारू और सुरजापुरी भाषा विलुप्त होने की कगार पर
12 जून, 2022 को बिहार हैरिटेज डेवलपमेंट सोसाइटी (बीएचडीएस) के कार्यकारी निदेशक बिजॉय कुमार चौधरी ने बताया कि बिहार में
बोली जाने वाली दो बोलियाँ- थारू और सुरजापुरी विलुप्त होने के संकट का सामना कर रही हैं।
प्रमुख बिंदु
बिजॉय कुमार चौधरी ने कहा कि बीएचडीएस ने क्षेत्र में जाकर गहन और विस्तृत जाँच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। उन्होंने कहा कि
थारू भाषा विलुप्त होने के कगार पर है, जबकि सुरजापुरी में विविधताएँ देखी जा रही हैं।
विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यदि इन्हें पुनर्जीवित करने के लिये कदम नहीं उठाए गए, तो ये दोनों भाषाएँ भोजपुरी, मैथिली, हिन्दी और
बांग्ला में घुल-मिल जाएंगी।
थारू भाषा भोजपुरी और मैथिली के मेल से बनी है और यह थारू समुदाय द्वारा मुख्यरूप से पश्चिमी और पूर्वी चंपारण ज़िलों में बोली जाती
है। सुरजापुरी भाषा बांग्ला, मैथिली और हिन्दी के मेल से बनी है और इसको बोलने वाले मुख्यरूप से राज्य के किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया
और अररिया ज़िलों में रहते हैं। इस भाषा को ‘किशनगंजिया’ नाम से भी जाना जाता है।
राज्य सरकार के कला, संस्कृति और युवा विभाग की एक शाखा के रूप में कार्यरत् बीएचडीएस बिहार की मूर्त और अमूर्त विरासत के
संरक्षण एवं प्रचार के लिये काम करती है।
गौरतलब है कि समुदाय के रूप में थारू लोग उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में स्थित हिमालय की तलहटी तथा नेपाल के दक्षिणी वन
क्षेत्रों में रहते हैं। सुरजापुरी भाषा बोलने वालों का एक बड़ा हिस्सा पूर्णिया ज़िले के ठाकुरगंज प्रखंड से सटे नेपाल के झापा ज़िले में रहता
है। 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में सुरजापुरी भाषा बोलने वालों की कुल संख्या 18,57,930 है।
प्लग एंड प्ले’: बिहार मेंउद्योगों को बढ़ावा देनेकी सरकार की पहल
हाल ही में बिहार सरकार ने राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये ‘प्लग एंड प्ले’ की पहल की है, जिसके तहत पाँच ज़िलों में ‘प्लग एंड
प्ले’ प्री-फेब्रीकेटेड शेड का निर्माण किया जाएगा, जहाँ उद्यमी सिर्फ उपकरण लगाकर फैक्ट्री शुरू कर सकेंगे।
प्रमुख बिंदु
15 करोड़ रुपए की लागत से एक शेड का निर्माण किया जाएगा। ज़मीन से लेकर बिजली-पानी तक की व्यवस्था सरकार करेगी। इससे
राज्य में औद्योगिक विकास की रफ्तार को बढ़ाया जा सकेगा।
इस योजना के तहत को-ऑपरेटिव स्पीनिंग मिल कैंपस (भागलपुर), बेला इंडस्ट्रियल एरिया (मुज़फ्फरपुर), हाज़ीपुर इंडस्ट्रियल एरिया
(हाज़ीपुर), कुमारबाग इंडस्ट्रियल एरिया (पश्चिमी चंपारण- फेज-2) और सिकंदरपुर इंडस्ट्रियल एरिया (बिहटा, पटना) में शेड का निर्माण
किया जाएगा।
शेड का निर्माण छह माह के अंदर होगा। इसके लिये इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट अथॉरिटीज़ (आईडीए) ने 75 करोड़ रुपए की निविदा निकाली
है। इसका 5 जुलाई को टेक्निकल बीड खुलेगा, जबकि कार्य एजेंसियों की प्री-बीड मीटिंग 28 जून को पटना में बुलाई गई है।
भागलपुर में को-ऑपरेटिव स्पिनिंग मिल कैंपस की 10 एकड़ ज़मीन में शेड बनेगा, जहाँ एकसाथ न्यूनतम 100 उद्यमियों को छह माह बाद
प्लेटफॉर्म उपलब्ध हो सकेगा।
ज़िला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक संजय कुमार वर्मा ने बताया कि ‘प्लग एंड शेड’ निर्माण का उद्देश्य वैसे उद्यमियों की मदद करना है, जो
ज़मीन के अभाव में फैक्ट्री नहीं लगा पा रहे हैं। अब उन्हें ज़मीन के साथ-साथ बिजली भी मिलेगी। यहाँ कपड़ा निर्माण, पैकेजिंग मैटेरियल,
सैनेटरी पैड्स आदि छोटे उद्यम को बढ़ावा दिया जाएगा।
बिहार के अब हर ज़िले में होगा एक ट्रैफिक पार्क
हाल ही में बिहार में हो रहे रोड एक्सीडेंट को कम करने के लिये परिवहन विभाग ने राज्य के सभी ज़िलों में स्थायी ट्रैफिक पार्क बनाने हेतु
नियमावली जारी कर दी है।
प्रमुख बिंदु
इसके तहत राज्य के हर ज़िले में एक-एक स्थायी ट्रैफिक पार्क बनाने की कवायद पटना के वीर कुंवर सिंह पार्क से शुरू हो गई है। इस पार्क
के 4900 वर्गफुट में अगस्त से एजेंसी के माध्यम से इस पार्क को बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही, बाकी ज़िलों में धीरे-धीरे
काम शुरू किया जाएगा।
यह बिहार का पहला स्थायी ट्रैफिक पार्क होगा। अभी गया, पटना में अस्थायी ट्रैफिक पार्क चल रहा है, जहाँ सबसे अधिक स्कूल व कॉलेज
के छात्र पहुँचते हैं।
ट्रैफिक पार्क में बच्चों व युवाओं को यातायात नियमों की जानकारी दी जाएगी। इसके लिये ट्रैफिक पार्क में सड़क, छोटा फुट ओवर ब्रिज,
डमी बिल्डिंग, प्रोजेक्टर, साउंड सिस्टम सभी की व्यवस्था की जाएगी। वहीं, ट्रैफिक पार्क में सड़क के साथ ट्रैफिक सिग्नल, जेब्रा क्रॉसिंग,
यू-टर्न, जैसे- साइनेज, छोटेफुट ओवरब्रिज का निर्माण, स्कूल, बस स्टॉप आदि का डमी निर्माण, लैंप पोस्ट व लाइटिंग की व्यवस्था, अलगअलग प्रवेश और निकास द्वार और प्रोजेक्टर के साथ रोड सेफ्टी क्लास रूम आदि की सुविधा होगी।
परिवहन विभाग की नियमावली के मुताबिक चयन की गई एजेंसी को 10 साल के लिये इस ट्रैफिक पार्क की ज़िम्मेदारी दी जाएगी। ज़मीन
और राशि परिवहन विभाग उपलब्ध कराएगा। इसके लिये एजेंसी से पूरी योजना का बजट मांगा गया है। एजेंसी को मज़दूर, उपकरण और
सामग्री से लेकर मैन पावर का प्रबंध करना होगा।
ट्रैफिक पार्क में स्कूली बच्चों और युवाओं को खेल-खेल में मनोरंजक तरीके से यातायात नियमों की जानकारी मिल सकेगी। यहाँ वे सुरक्षित
गाड़ी चलाना सीख सकेंगे। इसके ज़रिए सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक भी किया जा सकेगा
बिहार के पाँच ज़िलों में लगेंगे 26 लाख प्रीपेड मीटर
16 जून, 2022 को बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हेतु बिज़ली कंपनी और सिक्योर मीटर्स के बीच सहमति-पत्र
पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
इस सहमति-पत्र के तहत उत्तर बिहार के पाँच ज़िलों- सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चंपारण व पश्चिमी चंपारण में अगले 30 महीने में 26 लाख
प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे।
राज्य के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के लिये अभी तक देश का यह सबसे बड़ा करार है।
ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव व बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड के सीएमडी संजीव हंस ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट
मीटर के प्रति उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया सुखद एवं उत्साहजनक है।
उन्होंने कहा कि बिहार में अब तक 8.39 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मीटर लगाने हेतु सिक्योर मीटर्स के
साथ सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है।
बिहार के बालूखनन नीति, 2019 में संशोधन
17 जून, 2022 को बिहार राज्य ने खान एवं भूतत्त्व विभाग के तहत बिहार बालू खनन नीति, 2019 में महत्त्वपूर्ण संशोधन किया है।
प्रमुख बिंदु
डीएम ई-निलामी-सह निविदा के माध्यम से राज्य के सभी ज़िले चिह्नित बालूघाटों की अगले 5 वर्ष के लिये बंदोबस्ती कराएंगे। बालू घाटों
की बंदोबस्ती शुल्क में पिछले वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
बालू घाटों की बंदोबस्ती में सुरक्षित जमा राशि और प्रतिभूति राशि को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है।
विदित है कि सुरक्षित जमा राशि पहले भी 25 फीसदी ही थी, जिसे पिछले दिनों 10 फीसदी कर दिया गया था। अब इसे फिर से 25 फीसदी
किया गया है।
यह राशि देने के बाद ही बंदोबस्तधारियों की निविदा मान्य होगी।
इससे अवैध खनन पर अंकुश एवं निर्माण कार्यों को सुगमता से बालू उपलब्धता के साथ सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होगी।
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सभी ज़िलों का खनिज सर्वे रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया था और रिपोर्ट के आधार पर ज़िलों में बालूघाटों
की बंदोबस्ती करने को कहा था। उसके बाद विभाग ने सभी ज़िलों की रिपोर्ट तैयार की, जिसमें बालू की उपलब्धता से लेकर अन्य मामलों
का पूरा ब्लूप्रिंट है।
संशोधन के तहत पर्यावरणीय स्वीकृति एवं अन्य वैधानिक अनापत्ति बालू खनन करने वालों को ही लेनी होगी। माइनिंग प्लान भी उन्हें खुद
ही बनवाना होगा। पहले ये काम सरकार के स्तर से होता था।
बिहार में 534 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय होंगे प्लस-टूमें अपग्रेड
हाल ही में केंद्र सरकार से सहमति मिलने के बाद बिहार शिक्षा विभाग ने 534 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को प्लस-टू में अपग्रेड
करने की कार्ययोजना बनाई है।
प्रमुख बिंदु
बिहार राज्य में वंचित समूहों की लड़कियों को गुणवत्तापूर्णशिक्षा प्रदान करने के लिये अब तक कुल 634 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय
संचालित हैं। इनमें से 534 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें लड़कियों के लिये कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई की व्यवस्था है। कक्षा 6 से 8 तक
संचालित इन सभी विद्यालयों को प्लस-टू में अपग्रेड किया जाएगा।
इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग, गरीबी रेखा वाले वंचित समूहों और अल्पसंख्यक वर्गों से संबंधित बालिकाओं
को न सिर्फ कक्षा 6 से 12वीं तक की शिक्षा मिलेगी, बल्कि व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी संचालित होंगे।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में देश भर में 5,726 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संचालित हैं।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में नामांकित कुल 50,963 वंचित समूहों की लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये उन्हें
छात्रावास में रखकर पढ़ाई कराई जाती है।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम, आईसीटी लैब और वोकेशनल
ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की जाएगी।
शिक्षा विभाग ने इन विद्यालयों पर एक रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को सौंपी है, ताकि इन्हें जल्द-से-जल्द चालू करने के लिये स्कूली शिक्षा
एवं साक्षरता विभाग तत्काल कदम उठाए।
विदित है कि केंद्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा देने के लिये कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरुआत वर्ष 2006-
07 में की थी। इन विद्यालयों में 75% सीटें अनुसूचित जाति व जनजाति, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वर्गों की बालिकाओं के लिये
आरक्षित होंगी, बाकी 25% सीटें गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की बालिकाओं के लिये आरक्षित हैं।
बिहार में 50 साल सेअधिक उम्र वाले वृक्षों का DM करेंगे संरक्षण
हाल ही में बिहार राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सभी ज़िलाधिकारियों को पत्र लिखकर बिहार के विरासत (हेरिटेज) वृक्षों को
संरक्षित करने का निर्देश दिया है।
प्रमुख बिंदु
बिहार के विरासत में सभी प्रकार के 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले पुराने वृक्षों को शामिल किया गया है।
मुख्य सचिव ने ज़िलाधिकारियों से अनुरोध किया है कि बिहार हेरिटेज ट्री एप के माध्यम से राज्य के विरासत वृक्षों से संबंधित सूचनाएँ
एकत्रित करने के लिये व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए। साथ ही, उन वृक्षों के संरक्षण के लिये आवश्यक कार्रवाई की जाए।
विरासत वृक्षों के संरक्षण के लिये बिहार हेरिटेज ट्री एप के माध्यम से बिहार राज्य जैवविविधता परिषद द्वारा एक डाटा बेस तैयार किया जा
रहा है।
इसमें जनप्रतिनिधि, छात्र, शिक्षक, किसान, पदाधिकारी, कर्मचारी, जैवविविधता प्रबंधन समिति के सदस्य सहित सभी लोग भाग ले सकते
हैं। इन सभी को जैव विविधता के लिये प्रेरित किया जाए।
साथ ही बिहार हेरिटेज ट्री एप के माध्यम से 50 वर्षों से अधिक पुराने वृक्षों की सूचनाएँ बिहार राज्य जैव विविधता परिषद के पोर्टल पर
अपलोड की जा सकती है।
बिहार में राज्य बांध सुरक्षा संगठन (एसडीएसओ) का गठन
हाल ही में बिहार के बांधों और बैराजों के रख-रखाव एवं सुरक्षा हेतु राज्य बांध सुरक्षा संगठन का गठन किया गया है।
प्रमुख बिंदु
इसके लिये जल संसाधन विभाग ने केंद्रीय रूपांकन, शोध एवं गुण नियंत्रण के मुख्य अभियंता के नेतृत्व में 56 अधिकारियों व कर्मचारियों
की टीम बनाई है।
एसडीएसओ का गठन केंद्रीय बांध सुरक्षा अधिनियम के तहत भारत सरकार द्वारा दिये गए निर्देशों के अनुरूप किया गया है।
एसडीएसओ के पास राज्य के 27 बांधों और 5 प्रमुख बैराजों के निरीक्षण, रख-रखाव एवं निगरानी की ज़िम्मेवारी होगी।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पूरेदेश में बांधों की सुरक्षा को और पुख्ता बनाने के लिये बांध सुरक्षा विधेयक, 2018 के तहत सभी राज्यों
को बांधों-बैराजों की देखभाल के लिये अपनी-अपनी कार्ययोजना बनाने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि 5,254 बड़े बांधों के साथ वर्तमान में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है।
किसानों को गेहूँ-धान खरीद पर 10 हज़ार करोड़ रुपए की गारंटी देगी बिहार सरकार
21 जून, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में बिहार के किसानों को गेहूँ और धान की खरीद
पर 10 हज़ार करोड़ रुपए की गारंटी देने के फैसले को मंज़ूरी दे दी गई।
प्रमुख बिंदु
वित्तीय वर्ष 2022-23 में गेहूँ और धान की खरीद के लिये राज्य सरकार 10 हज़ार करोड़ रुपए की गारंटी देगी। यह गारंटी कॉमर्शियल बैंकों,
नाबार्ड जैसे संस्थानों से कर्ज़ लेने पर मिलेगी।
बिहार राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्तिनिगम को क्रियाशील पूँजी के रूप में विभिन्न वित्तीय संस्थानों से त्रैमासिक ब्याज दर पर लिये जाने
वाले कर्ज़ हेतु 10 हज़ार करोड़ रुपए की राजकीय गारंटी देने की मंज़ूरी कैबिनेट ने दी है।
बैठक में 13 प्रस्तावों को मंज़ूरी दी गई। कैबिनेट ने कृषि यांत्रिकीकरण योजना के लिये इस साल 94 करोड़ 5 लाख 54 हज़ार रुपए खर्च
करने की मंज़ूरी दी। इसके तहत राज्य के किसानों को विभिन्न कृषि यंत्रों पर 80 फीसदी तक अनुदान मिलेगा।
राज्य सरकार पराली प्रबंधन से जुड़े हैपी सीडर, सुपर सीडर, स्ट्र बेलर, रीपर-कम-बाइंडर जैसे यंत्रों पर अनुदान के लिये 31 करोड़ रुपए
खर्च करेगी।
पढ़ाई और रोज़गार करने वाले दिव्यांगों को मिलेगी बैट्री सेचलने वाली ट्राईसाइकिल
21 जून, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में पढ़ाई और रोज़गार करने वाले दिव्यांगों को बैट्री
से चलने वाली ट्राईसाइकिल देने का फैसला लिया गया है।
प्रमुख बिंदु
कैबिनेट ने सीएम दिव्यांगजन सशक्तीकरण छात्र योजना के तहत संचालित संबल योजना के अंतर्गत यह मंज़ूरी दी है।
बिहार सरकार मौज़ूदा वित्त वर्ष में राज्य भर में दिव्यांगों को 10 हज़ार बैट्रीचालित ट्राईसाइकिल का वितरण करेगी। ये ट्राईसाइकिल ‘पहले
आओ, पहले पाओ’ के आधार पर दिव्यांगों को बाँटी जाएंगी।
दिव्यांगों को बैट्री ट्राईसाइकिल के लिये पहले ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके बाद डीएम की अध्यक्षता में गठित कमिटी योग्य
लाभार्थियों का चयन करेगी। इस योजना के लिये 42 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी गई है।
अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने कहा कि ग्रेजुएशन और इसके ऊपर की पढ़ाई कर रहेदिव्यांग विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ
मिलेगा। विद्यार्थी अपने घर या हॉस्टल से लंबी दूरी तय करके बैट्रीचालित ट्राईसाइकिल के ज़रिये आसानी से कॉलेज-यूनिवर्सिटी जा सकेंगे।
इसके साथ ही बिहार में ही रहकर रोज़गार से जुड़े दिव्यांगों को भी इस योजना में शामिल किया गया है, ताकि वे बैट्री ट्राईसाइकिल का
इस्तेमाल करके अपने परिवार का पेट पाल सकें।
इस योजना के तहत लाभार्थी का बिहार का निवासी होना ज़रूरी है। शर्त यह है कि वह राज्य में ही रहकर पढ़ाई या रोज़गार कर रहा हो।
लाभार्थी के परिवार की सालाना आय 2 लाख रुपए से ज़्यादा नहीं होनी चाहिये। 17 साल या उससे ऊपर के 60 फीसदी दिव्यांगों को इसका
लाभ मिलेगा।
बिहार के बागीचों मेंहोगी मसालेकी खेती
हाल ही में बिहार सरकार ने राज्य के किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में कदम उठाते हुए बागीचों में मसाले की खेती की योजना बनाई
है।
प्रमुख बिंदु
इंटीग्रेटेड फार्म़िग योजना के तहत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिये कृषि विभाग ने इस पर काम शुरू किया है। बागीचे में उपलब्ध खाली
ज़मीन के वास्तविक रकबे के आधार पर ज़रूरत का आकलन किया गया है।
मसाला की खेती इसी साल प्रयोग के तौर पर शुरू होगी। इसके लिये ओल, अदरक व हल्दी का चयन किया गया है। अभी राज्य के 12
ज़िलों के बागीचों में इनकी खेती की जाएगी।
इस योजना के लिये जिन ज़िलों का चयन किया गया है, उनमें वैशाली, मुज़फ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी,
दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय, सहरसा, खगड़िया और भागलपुर शामिल हैं।
बागीचों में पेड़ लगाने के बाद खाली बची ज़मीन का उपयोग मसालों की खेती के लिये होगी। इससे किसान बागीचे के फल तो बेचेंगे ही,
मसालों का व्यापार भी कर सकेंगे।
योजना के तहत राज्य सरकार बागीचे में मसाला की खेती करने वाले किसानों को तकनीकी सहायता के साथ ही बीज और खाद की कीमत
का आधा पैसा भी देगी।
गौरतलब है कि राज्य में किसान औसतन दो फसल की खेती ही साल भर में करते हैं। मौसम अनुकूल खेती में सरकार ने उसे तीन फसल
तक बढ़ाने की योजना बनाई है। इसी के साथ सालाना फसलों की खेती में भी समेकित कृषि योजना पर ज़ोर दिया जा रहा है। नई योजना
इसी प्रयास की एक कड़ी है।
केला जैसे फल के बागीचों को छोड़ दें तो आम और लीची के बागीचों में 40 प्रतिशत भूमि का उपयोग ही पेड़ लगाने में होता है, शेष 60
प्रतिशत ज़मीन पर ऐसी फसलों की खेती की जा सकती है, जिनमें धूप कम रहने पर भी उत्पादन पर असर नहीं पड़ता है। इसी के तहत
ओल, अदरक और हल्दी का चयन किया गया है।
उल्लेखनीय है कि बिहार में खेती योग्य रकबा देश में औसत से काफी अधिक है। राज्य में कुल भूभाग के 60 प्रतिशत रकबे का उपयोग
खेती के लिये किया जाता है। देश में यह औसत 42 प्रतिशत है। इसके बावजूद राज्य सरकार फसल सघनता बढ़ाकर उत्पादन बढ़ाना चाहती
है। किसानों की आमदनी बढ़ाने का भी यह एक अनूठा कदम है।
पटना के जेपी गंगा पथ का उद्घाटन
24 जून, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुंबई के मरीन ड्राइव के तर्ज पर पटना में बने जेपी गंगा पथ के प्रथम फेज़ का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
गंगा पथ निर्माण के डीजीएम अरुण कुमार ने बताया कि यह रोड दीघा घाट से दीदारगंज घाट तक 20.5 किमी. लंबा है और इसकी लागत
3831 करोड़ रुपए है।
इस सड़क को चार फेज में तैयार किया जा रहा है। पहले फेज में पटना के दीघा से पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) तक
लगभग साढ़े सात किमी. लंबे पथ का काम पूरा हो गया है, जिसका मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया है।
जेपी गंगा पथ के उद्घाटन हो जाने से डेढ़ घंटे का सफर अब महज 20 मिनट में पूरा हो जाएगा। उत्तर बिहार के लोगों को भी इससे बहुत
ज्यादा फायदा होगा।
दूसरेफेज में गाय घाट तक का काम दिसंबर 2022 तक, तीसरेफेज में पटना घाट तक का काम अप्रैल 2023 तक और चौथे फेज का काम
फरवरी 2024 तक पूरा हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 2011 में पटना में मरीन ड्राइव बनाने का प्रस्ताव सरकार ने पास किया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 11
अक्टूबर, 2013 को जय प्रकाश नारायण के जयंती के दिन इसका शिलान्यास किया था।
एमएसएमई अवार्ड, 2022 में बिहार को मिला दूसरा पुरस्कार
27 जून, 2022 को बिहार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने बताया कि बिहार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र के
विकास और प्रोत्साहन में उत्कृष्ट योगदान के लिये ‘राष्ट्रीय एमएसएमई पुरस्कार, 2022’ में दूसरा पुरस्कार प्राप्त किया है।
प्रमुख बिंदु
यह पुरस्कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 जून को दिल्ली में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा आयोजित एक समारोह में प्रदान करेंगे।
उद्योग मंत्री ने बताया कि बिहार का औद्योगीकरण काफी हद तक एमएसएमई क्षेत्र के विकास पर निर्भर करता है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है
कि पिछले 1.5 वर्षों में प्राप्त 36,000 करोड़ रुपए के अधिकांश निवेश एमएसएमई क्षेत्र से आये हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य में MSME को प्रोत्साहन देने हेतु मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
‘मुख्यमंत्री उद्यमी योजना’ (एमयूवाई), 2018 में लॉन्च होने के समय केवल एससी/एसटी तक ही सीमित थी, लेकिन इसमें वित्त वर्ष
2021-22 से पिछड़े, अत्यंत पिछड़े, सामान्य और महिला श्रेणियों को शामिल किया गया है।
बिहार के दो लाख आईटीआई छात्रों को मिलेगी छात्रवृत्ति
28 जून, 2022 को बिहार के श्रम संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र मिश्रा द्वारा निजी आईटीआई के लगभग दो लाख छात्रों को छात्रवृत्ति
का लाभ देने के संबंध में आदेश जारी किया गया।
प्रमुख बिंदु
केंद्र सरकार के आदेश के बाद राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी नहीं होने के कारण आईटीआई छात्र छात्रवृत्ति से वंचित थे। इसी पर
बिहार सरकार ने संज्ञान लेते हुए निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (प्राइवेट आईटीआई) में पढ़ रहे बिहार के दो लाख आईटीआई छात्रों को
अब छात्रवृत्ति का लाभ मिलने की घोषणा की है।
राज्य सरकार द्वारा प्राइवेट आईटीआई में पढ़ रहेदो लाख विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति की राशि इंजीनियरिंग ट्रेड में पढ़ने वाले छात्रों
को 10,400 रुपए और नॉन-इंजीनियरिंग छात्रों को 8,480 रुपए छात्रवृत्ति दी जाएगी। इस शुल्क की बाकी रकम छात्रवृत्ति के तौर पर केंद्र
सरकार की ओर से वहन की जाएगी।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने आईटीआई के इंजीनियरिंग व गैर-इंजीनियरिंग छात्रों के लिये वार्षिक प्रशिक्षण शुल्क तय किया है। इसके
तहत इंजीनियरिंग ट्रेड के लिये 26 हज़ार रुपए और गैर-इंजीनियरिंग के लिये 21 हज़ार 200 रुपए तय किया गया है।
वर्ष 2024 से पाँच फीसदी की दर से प्रतिवर्ष एक समान वृद्धि अनुमन्य होगी। पाँच साल बाद प्रशिक्षण महानिदेशालय की ओर से शुल्क
संरचना की समीक्षा की जाएगी।
सरकार का यह आदेश जारी होते ही राज्य के सभी प्राइवेट आईटीआई में पढ़ने वाले छात्रों को सत्र 2022-23 से उपरोक्त शुल्क देना होगा।
दुनिया की सबसे ऊँची सड़क ‘उमलिंगला’ पर पहुँचने वाली छपरा की सबिता बनीं पहली महिला साइकिलिस्ट
28 जून, 2022 को बिहार के छपरा ज़िले की सबिता महतो दुनिया की सबसे ऊँची सड़क उमलिंगला पर साईकिल से सफर तय करने वाली
दुनिया की पहली महिला साइकिलिस्ट बन गई हैं।
प्रमुख बिंदु
सबिता ने उमलिंगला तक पहुँचने के लिये रोथन ला, बारालाचाला, नाकिला, लाचुनला, तनलंगला और नोरबुला को पार किया है।
उल्लेखनीय है कि भारत के सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 2020 में चीन की सीमा के पास लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊँची सड़क
उमलिंगला बनाई है, जिसे 2021 में गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था। यह सड़क पूर्वी लद्दाख के उमलिंगाला दर्रे
में स्थित है। इसकी ऊँचाई समुद्र तल से 19,300 फीट है।
सबिता महतो ने अपनी यह यात्रा नई दिल्ली से 5 जून को शुरू की और 28 जून को उमलिंगला पहुँचकर खत्म की। इस यात्रा को रोडिक
ने स्पांसर किया था। सबिता ज़ल्द गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिये अप्लाई करेंगी।
विदित है कि सबिता ने टाटा स्टील में नौकरी छोड़कर साइकिलिंग करने का मन बनाया। उन्होंने ऑल इंडिया ट्रैवलिंग के दौरान 12,500
किलोमीटर की दूरी तय की है। वह पहली भारतीय लड़की हैं, जिन्हें 12,500 किलोमीटर की यात्रा तय करने का खिताब मिला है। वे विभिन्न
राज्यों के अलावा अन्य देश, जैसे- श्रीलंका, भूटान, नेपाल समेत पूरेदेश का भ्रमण कर चुकी हैं। अभी तक साइकिल से उन्होंने कुल मिलाकर
35,000 किलोमीटर की दूरी तय की है।
एयरपोर्ट की तर्ज़ पर मुजफ्फरपुर सहित 12 रेलवेस्टेशन बनेंगे विश्वस्तरीय
हाल ही में पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ बीरेंद कुमार ने बिहार राज्य में स्टेशन पुनर्विकास परियोजना के तहत विश्वस्तरीय स्टेशन के रूप
में विकसित करने के लिये पूर्व मध्य रेलवे के 12 स्टेशनों को चिह्नित करने की जानकारी दी है।
प्रमुख बिंदु
इन 12 स्टेशनों में सोनपुर मंडल के मुज़फ्फरपुर, बेगूसराय एवं बरौनी, समस्तीपुर मंडल के दरभंगा, सीतामढ़ी, बापूधाम मोतिहारी, दानापुर
मंडल के राजेंद्रनगर एवं बक्सर, पं. दीनदयाल उपाध्याय मंडल के गया व पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन तथा धनबाद मंडल के धनबाद एवं
सिंगरौली का चयन किया गया है।
इन सभी चिह्नित स्टेशनों के पुनर्विकास की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसे वर्ष 2024 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
पुनर्विकास से जुड़े कार्य पूरा होने के बाद यात्रियों को एयरपोर्ट जैसी विश्वस्तरीय सुविधाएँ प्राप्त होंगी।
इस योजना के तहत 400 करोड़ रुपए की राशि से मुज़फ्फरपुर जंक्शन का निर्माण होगा।
पुनर्विकास के बाद मुज़फ्फरपुर स्टेशन उन्नत यात्री सुविधाओं के साथ तकनीक, स्थानीय संस्कृति और समृद्ध विरासत का आकर्षक मेल
बनेगा। पुनर्विकास के उपरांत यात्रियों को सेवा प्रदान करने की क्षमता तीन गुना बढ़ जाएगी। इससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ
अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार का सृजन होगा, जिसका लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा।
स्टेशन को विश्वस्तरीय रूप देते हुए तथा उन्हें अत्याधुनिक सुविधा से सुसज्जित करते हुए स्टेशन को ग्रीन बिल्डिंग का रूप दिया जाएगा,
जहाँ वेंटिलेशन आदि की पर्याप्त व्यवस्था होगी। स्टेशन पर एक्सेस कंट्रोल गेट एवं प्रत्येक प्लेटफॉर्म पर एस्केलेटर एवं लिफ्ट लगाये जाएंगे,
ताकि एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर आने-जाने में यात्रियों को सुविधा हो। यात्रियों को प्रदान की जाने वाली आवश्यक सुविधाओं में
खान-पान, वॉशरूम, पीने का पानी, एटीएम, इंटरनेट आदि शामिल होंगे। इससे आम यात्रियों के साथ वरिष्ठ नागरिक विशेषरूप से लाभान्वित
होंगे।
विश्वस्तरीय स्टेशन के रूप में पुनर्विकास के उपरांत रेल यात्रियों के स्टेशन पर आगमन एवं प्रस्थान के लिये अलग-अलग व्यवस्था के तहत
आगमन भवन एवं प्रस्थान भवन के निर्माण हेतु अलग भवन का निर्माण किया जाएगा।
स्टेशन के प्रवेश और निकास द्वार ऐसे होंगे, जिनसे यात्रियों को भीड़-भाड़ का सामना नहीं करना पड़े। वर्तमान की तुलना में मुख्य स्टेशन
भवन के लिये 2.35 गुना अधिक जगह तथा पार्क़िग एरिया के लिये 4.9 गुना अधिक जगह उपलब्ध होगी।
इसके अतिरिक्त टिकटिंग सुविधा, दिव्यांग अनुकूल सुविधाएँ, ग्रीन ऊर्जा के लिये स्टेशन भवन पर सौर पैनल का प्रावधान, रेन वाटर हार्वेस्टिंग
का प्रावधान, वाटर रीसाइक्लिंग प्लांट, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं अग्निशमन आदि की व्यवस्था होगी।
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