बिहार में 18 साल बाद हुआ सबसे बड़ा राजकोषीय घाट
30 जून, 2022 को बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन में प्रस्तुत CAG की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में वित्त वर्ष 2020-21 में 29 हजार 827 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा दर्जकिया गया।
प्रमुख बिंदु
यह रिपोर्ट 31 मार्च, 2021 को खत्म हुए वित्त वर्ष की है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार का राजकोषीय घाटा पिछले साल की तुलना में 15,103 करोड़ रुपए बढ़कर 29 हजार 827 करोड़ रुपए हो गया है। यही नहीं, राज्य को 2004-05 के बाद पहली बार 11,325 करोड़ रुपए से अधिक
का राजस्व घाटा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार टैक्स में बढ़ोतरी के कारण वित्तीय वर्ष 2020-21 में पिछले साल की तुलना में राजस्व प्राप्तियों में 3,936 करोड़ (3.17प्रतिशत) की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस वर्ष मुख्य रूप से प्रतिबद्ध व्यय में वृद्धि के कारण राजस्व खर्च में 13,476 करोड़ (10.69 प्रतिशत)
की बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया हैकि मार्च 2021 तक नीतीश सरकार ने 92 हजार 687 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी जमा नहीं किया है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा हैकि अधिक मात्रा में उपयोगिता प्रमाण-पत्र लंबित रहना राशि के दुरुपयोग और धोखाधड़ी के जोखिम को
बढ़ाता है। अग्रिम राशि का समायोजन नहीं होना, धोखाधड़ी हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार बिहार सरकार ने न तो 12वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार गारंटी मोचन निधि बनाई है और न ही गारंटियों की
सीमा निर्धारण के लिये कोई नियम बनाय
बिहार में वज्रपात का बढ़ता प्रकोप
हाल ही में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बताया गया कि प्राकृतिक आपदाओं में वज्रपात सबसे ज़्यादा घातक होता जा रहा है,
जिसके चलते पिछले 6 वर्षों में लगभग 2000 लोगों की जान जा चुकी है।
प्रमुख बिंदु
वज्रपात के लिहाज से जमुई, भागलपुर, पूर्णिया, बाँका, औरंगाबाद, गया, कटिहार, पटना, नवादा और रोहतास जिले सबसे ज्यादा संवेदनशील
हैं।
हालाँकि, इस बार तीन ज़िलों- पटना, गया और औरंगाबाद को ज़्यादा सतर्क किया गया है।
प्राधिकरण के अनुसार राज्य में वज्रपात और इससे होने वाली मौतों के लिये राज्य का भूगोल ज़िम्मेदार है, अर्थात् बिहार की जलवायु मानसूनी
होने के कारण यह गर्मी और नमी के हिसाब से अतिसंवेदनशील है, जिस कारण राज्य में तीव्र गर्जन और तेज वर्षा के साथ वज्रपात की
घटनाएँ होती हैं।
वज्रपात से बचाव के लिये राज्य सरकार द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके साथ ही इंद्रवज्र नामक एक ऐप भी लॉन्च किया
गया है, जो वज्रपात से लगभग 40 मिनट पहले लोगों को अलार्म टोन एवं संदेश के जरिये सतर्क करता है।
केंद्र ने बिहार को दिये 1152 करोड़ रुपए
4 जुलाई, 2022 को बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने जानकारी दी कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिश पर केंद्र ने बिहार के
लिये 60 करोड़ रुपए का फंड जारी किया है।
प्रमुख बिंदु
इस फंड का इस्तेमाल ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद् में तय फॉर्मूले के आधार पर किया जाएगा। इसका उद्देश्य निचले
स्तर तक विकास को ले जाना है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिये 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर भारत सरकार से टाइट अनुदान मद के तहत पहली किश्त के
रूप में 60 करोड़ रुपए का फंड बिहार को मिला है। यह फंड बिहार के 8067 ग्राम पंचायतें, 533 पंचायत समितियाँ और 38 जिला परिषदों
को सुदृढ़ करने के लिये दिया गया है।
सम्राट चौधरी ने बताया कि स्वीकृत राशि की निकासी वित्तीय वर्ष 2022-23 में की जाएगी, 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिले अनुदान
का वितरण पंचायती राज संस्थाओं के बीच 70:15:15 के अनुपात में किया जाएगा। इस फॉर्मूले के आधार पर ग्राम पंचायतों को 82 करोड़
रुपए, पंचायत समितियों को 172.89 करोड़ रुपए और जिला परिषदों को 172.8 रुपए आवंटित किये जाएंगे।
विदित हैकि 1 सप्ताह पहले भारत सरकार ने वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में अनटाइड मद में 768.40 करोड़ रुपए पंचायती राज
संस्थाओं के बीच आनुपातिक रूप से वितरित किये गए हैं। इस प्रकार भारत सरकार द्वारा टाइड में 1152.60 एवं अनटाइड मद में 768.40
करोड़ रुपए यानी की कुल मिलाकर बिहार को वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल 1921 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।
बिहार में खुलेगा मेगा स्किल सेंटर
हाल ही में बिहार के श्रम संसाधन विभाग ने राज्यभर में युवाओं को रोजगार से जोड़ने, उन्हें रोजगार संबंधित ट्रेनिंग देने के लिये सभी ज़िलों
में मेगा स्किल सेंटर की स्थापना संबंधी प्रस्ताव तैयार किया है।
प्रमुख बिंदु
मेगा स्किल सेंटर के अंतर्गत न केवल एक ही छत के नीचे युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा, बल्कि युवाओं का कौशल विकास और
प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलंबी भी बनाया जाएगा। स्किल सेंटर में युवाओं को 90 प्रकार के ट्रेड का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मेगा स्किल सेंटर के पहले चरण में पटना, नालंदा व दरभंगा में सेंटर खोला जाएगा। इन केंद्रों पर हर साल दो हज़ार से ढ़ाई हज़ार बच्चों को
प्रशिक्षित किया जाएगा।
इस सेंटर से बेरोजगारों को काफी हद तक रोजगार पाने में मदद मिल सकेगी। स्किल सेंटर में विभिन्न प्रकार के तकनीकी प्रशिक्षण के ज़रिये
युवाओं को कमाई के लिये दक्ष बनाया जाएगा।
श्रम विभाग युवाओं के लिये निम्नलिखित कार्यक्रम चला रहा है-
सभी ज़िलों में बृहद् स्तर पर नियोजन मेला और नियोजन कैंप का आयोजन किया जा रहा है।
डोमेन स्किल में युवाओं को ट्रेड विशेष में रोज़गारपरक प्रशिक्षण दिया जाता है तथा रोज़गार सहायता प्रदान की जाती है।
कौशल युवा प्रोग्राम के तहत युवाओं को बुनियादी कंप्यूटर प्रशिक्षण, भाषा कौशल, व्यवहार कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्रधानमंत्री कौशल युवा प्रोग्राम के तहत रोज़गार के उन्मुखीकरण के लिये प्रशिक्षण दिया जाता है।
आईटीआई संस्थानों में प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये उच्चस्तरीय सेंटर ऑफ एक्सेलेंस बनाया जा रहा है।
राज्य में 90 प्रकार के ट्रेड प्रशिक्षण के लिये स्किल सेंटर्स पर एग्रीकल्चर, एयरोस्पेस एंड एविएशन, कृषि, कपड़ा, ऑटोमोटिव, कैपिटल
गुड्स, निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स व हार्डवेयर, खाद्य प्रसंस्करण, ग्रीन जॉब्स, हैंडीक्रॉफ्ट्स, हेल्थ केयर, आयरन एंड स्टील, माइनिंग, पावर, रबर,
टेलकम व टेक्सटाइलस से जुड़े रोजगार के लिये कोर्स उपलब्ध होंगे।
शॉर्ट टर्म कोर्स के तहत छात्रों को कम-से-कम 300 घंटे और अधिकतम 1500 घंटे प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन केंद्रों का संचालन निजी
कंपनियों द्वारा किया जाएगा।
‘एनएफएसए के लियेराज्य रैंकिंग सूचकांक’ में बिहार सातवें स्थान पर
5 जुलाई, 2022 को जारी ‘एनएफएसए के लिये राज्य रैंकिंग सूचकांक’ के पहले संस्करण में बिहार पूरे देश में सातवें स्थान पर है। इस
सूचकांक में ओडिशा पहले स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वस्त्र और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ‘एनएफएसए के लिये राज्य
रैंकिंग सूचकांक’ का पहला संस्करण जारी किया।
सामान्य श्रेणी के राज्यों में ‘एनएफएसए के लिये राज्य रैंकिंग सूचकांक’ में ओडिशा 836 स्कोर के साथ शीर्षस्थान पर है, जबकि उत्तर
प्रदेश 0.797 स्कोर के साथ दूसरे और आंध्र प्रदेश 0.794 स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर है।
सामान्य श्रेणी के राज्यों में ‘एनएफएसए के लिये राज्य रैंकिंग सूचकांक’ में बिहार 783 स्कोर के साथ सातवें स्थान पर है।
विशेष श्रेणी के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में त्रिपुरा 788 स्कोर के साथ पहले स्थान पर है, उसके बाद हिमाचल प्रदेश 0.758 स्कोर के साथ
दूसरे और सिक्किम 0.710 स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर है।
इसके अलावा तीन केंद्रशासित प्रदेशों में, जहाँ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) नकद संचालित है, दादरा और नगर हवेली एवं दमन दीव
802 स्कोर के साथ शीर्षस्थान पर हैं।
यह सूचकांक राज्यों के साथ परामर्श के बाद देश भर में एनएफएसए के कार्यान्वयन और विभिन्न सुधार पहलों की स्थिति और प्रगति का
दस्तावेजीकरण करने का प्रयास करता है।
यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किये गए सुधारों पर प्रकाश डालता है तथा सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा एक क्रॉस-लर्निंग
वातावरण और स्केल-अप सुधार उपायों का निर्माण करता है।
वर्तमान सूचकांक काफी हद तक एनएफएसए वितरण पर केंद्रित है और इसमें भविष्य में खरीद, पीएमजीकेएवाई वितरण शामिल होगा।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग के लिये सूचकांक तीन प्रमुख स्तंभों पर बनाया गया है, जो टीपीडीएस के माध्यम से एनएफएसए
के एंड-टू-एंड कार्यान्वयन को कवर करता है। ये स्तंभ हैं- i) एनएफएसए- कवरेज, लक्ष्यीकरण और अधिनियम के प्रावधान, ii) डिलीवरी
प्लेटफॉर्म, और iii) पोषण संबंधी पहल।
बिहार में अब सभी राशनकार्ड धारियों को मिलेगी मुफ्त इलाज की सुविधा
8 जुलाई, 2022 को बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने ‘आयुष्मान भारत जन-आरोग्य योजना’ के अंतर्गत उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले
चिकित्सकों व अस्पतालों के लिये आयोजित सम्मान समारोह में राज्य के सभी राशनकार्डधारियों के लिये ‘आयुष्मान भारत जन-आरोग्य योजना’
के तर्ज पर मुफ्त इलाज की सुविधा की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
इस अवसर पर आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पर 66 चिकित्सकों व 5 अस्पतालों को सम्मानित भी किया
गया है।
आयुष्मान भारत जन-आरोग्य योजना के तर्ज पर मुफ्त इलाज की सुविधा के फलस्वरुप बिहार की 9 करोड़ की आबादी को प्रतिवर्ष प्रति
परिवार 5 लाख तक का कैशलेश इलाज कराने के लिये कवर किया जाएगा।
मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि वर्तमान में राज्य में 1 करोड़ 9 लाख परिवार इस योजना के अंतर्गत बतौर लाभार्थी केंद्र सरकार से सूचीबद्ध
हैं, लेकिन राज्य के अंदर सभी राशनकार्डधारी इस योजना से लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं।
राज्य में लगभग 1 करोड़ 80 लाख परिवार हैं, जो राशनकार्डधारी हैं। अत: शेष बचे लगभग 70 लाख राशनकार्डधारी परिवारों को 5 लाख
प्रति परिवार प्रतिवर्ष देने की योजना को बिहार कैबिनेट ने स्वीकृत किया है, जिसके फलस्वरुप बिहार के सारे कार्डधारी लाभान्वित हो जाएंगे।
उल्लेखनीय हैकि राज्य में अब तक 35.38 लाख परिवारों एवं 76.25 लाख व्यक्तियों को आयुष्मान कार्ड निर्गत किया जा चुका है। राज्य
में इस योजना के अंतर्गत 606 सरकारी एवं 379 गैर सरकारी अस्पताल (कुल 985 अस्पताल) सूचीबद्ध किये जा चुके हैं। अभी तक 4
लाख 11 हजार परिवारों को इस योजना के तहत 429 करोड़ से अधिक की राशि से स्वास्थ्य लाभ दिया गया है।
बिहार में जल्द खुलेगा फूड प्रोसेसिंग इंस्टीट्यूट
हाल ही में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बिहार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन के साथ बैठक के दौरान बिहार
में फूड प्रोसेसिंग संस्थान NIFTEM (National Institute of Food Technology Entrepreneurship and
Management) खोलने की बात कही।
प्रमुख बिंदु
दिल्ली में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस और बिहार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन के बीच हुई बैठक में प्रधानमंत्री
किसान संपदा योजना (PMKSY) के तहत बिहार में एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर्स की स्थापना के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत हुई।
इस दौरान यह भी तय हुआ कि जल्द ही पटना में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय और उद्योग विभाग, बिहार सरकार के बीच उच्चस्तरीय
बैठक होगी, साथ ही पटना में इस सेक्टर के बड़े उद्योगपतियों की मौज़ूदगी में एक फूड प्रोसेसिंग कॉन्क्लेव भी किया जाएगा।
बिहार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की एग्रो
प्रोसेसिंग क्लस्टर्स योजना से बिहार के किसानों को बहुत लाभ हो सकता है। साथ ही फूड प्रोसेसिंग इकाईयों की स्थापना से बड़े पैमाने पर
रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर्स की स्थापना के लिये 10 एकड़ ज़मीन की ज़रूरत होगी और यहाँ 25 करोड़ रुपए या इससे ऊपर की लागत की
कम-से-कम पाँच खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना का लक्ष्य होगा।
योजना के मुताबिक हर एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर में राज्य और केंद्र मिलकर ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे- सड़क, पानी, बिज़ली, ड्रेनेज, वेयरहाउस,
कोल्ड स्टोरेज, टेट्रा पैक, सोर्टिंग, ग्रेडिंग जैसी तमाम सुविधाएँ उपलब्ध कराएंगे।
बिहार की सबसे बड़ी एलिवेटेड कॉरिडोर सड़क दानापुर-बिहटा के निर्माण को एनएचएआई नेदी हरी झंडी
15 जुलाई, 2022 को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने दानापुर रेलवे स्टेशन से बिहटा के ईएसआई मेडिकल कॉलेज
तक एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण के लिये निविदा कर दी। इस प्रोजेक्ट के तहत 21 किमी. लंबे एलिवेटेड कारिडोर का निर्माण किया जाना है।
प्रमुख बिंदु
दानापुर-बिहटा एलिवेटेड कॉरिडोर के तहत बिहटा एयरपोर्ट के लिये एक लिंक रोड का भी प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त नेऊरागंज,
पैनाल, कन्हौली तथा बिशनपुरा में बाईपास का निर्माण कराया जाना है।
बिहार के सबसे बड़े एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण 51 करोड़ रुपए की लागत से होगा। एलिवेटेड सड़क की पूरी लंबाई 21 किमी. है।
कोईलवर पुल तक 4 किमी. सड़क भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
पटना से इस एलिवेटेड कॉरिडोर का इस्तेमाल कर रहे ट्रैफिक को एक टनल के माध्यम से बिहटा एयरपोर्ट का रास्ता मिलेगा। सगुना मोड़
से एलिवेटेड कॉरिडोर के लिये एक रैंप बनाया जाएगा। बिहटा से कोईलवर के बीच एक अंडरपास तथा चार पुल बनाए जाएंगे।
गौरतलब हैकि एलिवेटेड कारिडोर का प्रोजेक्ट बिहार के लिये घोषित प्रधानमंत्री पैकेज 2015 का हिस्सा है। इसके लिये 456 करोड़ रुपए
की लागत से राज्य सरकार ने अपनी राशि से ज़मीन का अधिग्रहण किया है। दानापुर स्थित रेलवे की ज़मीन के बदले राज्य सरकार हार्डिंग
पार्क के दक्षिणी हिस्से की ज़मीन उपलब्ध कराएगी।
Climate Change Learning Lab
17 जुलाई, 2022 को बिहार पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार सिंह ने बिहार में होने वाले जलवायु परिवर्तन के बारे में
अध्ययन के लिये पटना जू में क्लाइमेंट चेंज लर्निंग लैब का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद् की ओर से यूरोपियन यूनियन एवं जर्मनी की एक संस्था जीआईजेड द्वारा यह लैब स्थापित की गई है।
ऐसी लैब बिहार में पहली बार स्थापित की गई है।
यह लैब जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर आम जनता को, विशेषकर स्कूली बच्चों को, जागरूक करेगी।
प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास हैकि वर्ष 2040 तक राज्य में शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को
प्राप्त कर लिया जाए।
बियाडा की ज़मीन होगी अब 80 फीसदी तक सस्ती
19 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा)
की ज़मीन की लीज़ राशि पर 20 से 80 फीसदी तक छूट देने का फैसला लिया गया। इससे बिहार में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और
निवेश बढ़ेगा।
प्रमुख बिंदु
बिहार कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने बैठक के बाद कहा कि बियाडा उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिये ज़मीन 90
साल तक लीज़ पर देता है। अभी ज़मीन का रेट एमवीआर के आधार पर है।
अब राज्य सरकार बिहार के 54 औद्योगिक क्षेत्रों में ज़मीन की लीज़ पर 20 से 80 फीसदी तक की छूट देगी। सरकार के इस कदम से
उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिये सस्ती दर पर ज़मीन मिल सकेगी। इससे राज्य में औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा और निवेश आने से
आर्थिक विकास होगा।
वर्तमान में राज्य में बियाडा के 74 औद्योगिक क्षेत्र कार्यरत् हैं। बंद पड़ी चीनी मिलों की 2900 एकड़ ज़मीन औद्योगिक क्षेत्र के रूप में
विकसित करने के लिये बियाडा को ट्रांसफर की गई है।
जानकारी के अनुसार, जिन ज़िलों में बियाडा की ज़मीन के एमवीआर पर 80 फीसदी छूट दी गई है, उनमें गोपालगंज का हथुआ फेज़ एक
और दो, सिवान का न्यूसिवान फेज़ एक और दो, औरंगाबाद, रोहतास का बिक्रमगंज क्षेत्र, बक्सर का डुमरांव, गया ज़िले का गुरारू, मुंगेर
ज़िले का जमालपुर और मुंगेर क्षेत्र, पश्चिम चंपारण का रामनगर, मधुबनी का झंझारपुर, मधेपुरा का उदाकिशुनगंज और मुरलीगंज, सहरसा
ज़िले का सहरसा क्षेत्र और नालंदा ज़िले का बिहारशरीफ क्षेत्र शामिल हैं।
इसी प्रकार जिन ज़िलों में बियाडा की ज़मीन के एमवीआर में 60 फीसदी तक छूट दी गई है, उनमें पश्चिम चंपारण का बेतिया, रोहतास का
डेहरी, भोजपुर का बिहिया, जहानाबाद, बिहटा, सिवान, मधुबनी ज़िले का सकरी, सीतामढ़ी, दरभंगा का धरमपुर, कटिहार और किशनगंज
का खगरा क्षेत्र शामिल हैं।
इसके अलावा भागलपुर का बरारी, पूर्णिया का बनमनखी, पूर्णिया सिटी, दरभंगा का दोनार और बेला, पूर्वी चंपारण का रक्सौल, वैशाली का
हाज़ीपुर, बारूण व औरंगाबाद, बक्सर और लखीसराय में 40 फीसदी तक छूट मिलेगी।
पूर्णिया का मरंगा, अररिया का फारबिसगंज, मधुबनी का लौहट फेज़ एक, दो और तीन, पूर्वी चंपारण का सुगौली, मुज़फ्फरपुर और कोररा,
वैशाली का गोरौल फेज एक और दो, हाजीपुर, पटना ज़िले का फतुहा, पाटलिपुत्र, बक्सर का नवानगर, नवादा का वारसलीगंज, मुंगेर ज़िले
का सीताकुंड और खगड़िया ज़िले के खगड़िया औद्योगिक केंद्र की ज़मीन पर 20 फीसदी छूट मिलेगी।
बिहार सरकार किसानों को देगी डीज़ल का बड़ा अनुदान
19 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य के किसानों को डीज़ल अनुदान देने के राज्य
सरकार के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
प्रमुख बिंदु
वित्तीय वर्ष 2022-23 में बिहार राज्य आकस्मिकता निधि से कुल 29 करोड़ 95 लाख रुपए की अग्रिम स्वीकृति दी गई। किसानों को प्रति
लीटर डीज़ल पर 60 रुपए अनुदान मिलेगा।
एक एकड़ में खरीफ फसलों की सिंचाई के लिये 10 लीटर डीज़ल की खपत होती है। इस आधार पर किसानों को 600 रुपए प्रति एकड़
की दर से भुगतान किया जाएगा। अनुदान की राशि अधिकतम पाँच एकड़ तक सीमित होगी।
बिचड़ा बचाने और जूट की दो सिंचाई के लिये 1200 रुपए प्रति एकड़ और धान, मक्का, खरीफ फसलों के तहत दलहनी, तिलहनी, मौसमी
सब्जी, औषधीय, सुगंधित पौधों के लिये एक खेत हेतु अधिकतम 3 सिंचाई के लिये अधिकतम 1800 रुपए प्रति एकड़ की दर से पैसा
मिलेगा।
इंडिया इनोवेशन इंडेक्स में बिहार को मिला 15वाँ स्थान
21 जुलाई, 2022 को नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी द्वारा जारी इंडिया इनोवेशन इंडेक्स- 2021 में 17 बड़े राज्यों में बिहार को 15वाँ
स्थान मिला है।
प्रमुख बिंदु
नीति आयोग के तीसरे इंडिया इनोवेशन इंडेक्स में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनके प्रदर्शन की प्रभावी तुलना करने के लिये 17 प्रमुख
राज्यों, 10 पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों तथा 9 केंद्रशासित प्रदेशों व शहर-राज्यों की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया था।
17 प्रमुख राज्यों में कर्नाटक 01 अंक के साथ शीर्षस्थान पर है, जबकि तेलंगाना (17.66 अंक) दूसरे और हरियाणा (16.35 अंक) तीसरे
स्थान पर हैं।
प्रमुख राज्यों में बिहार 58 अंक के साथ 15वें स्थान पर है। वहीं दो ऐसे बड़े राज्य भी हैं, जो इनोवेशन इंडेक्स में बिहार से भी पीछे हैं। इनमें
पड़ोसी राज्य ओडिशा और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। ओडिशा 11.42 अंक के साथ 16वें और छत्तीसगढ़ 10.97 अंक के साथ 17वें (अंतिम)
स्थान पर है।
पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में मणिपुर 37 अंकों के साथ शीर्षस्थान पर है। इस श्रेणी में उत्तराखंड (17.67 अंक) दूसरे स्थान पर,
जबकि नगालैंड (11.00 अंक) सबसे नीचले पायदान पर है। दूसरी ओर केंद्रशासित प्रदेशों व शहर-राज्यों की श्रेणी में चंडीगढ़ (27.88
अंक) को शीर्षस्थान मिला है।
उल्लेखनीय हैकि नीति आयोग और प्रतिस्पर्द्धात्मकता संस्थान द्वारा तैयार इंडिया इनोवेशन इंडेक्स देश के इनोवेशन इको सिस्टम के मूल्यांकन
और विकास का एक माध्यम है। यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनके नवाचार प्रदर्शन के क्रम में रखता है, ताकि उनके बीच स्वस्थ
प्रतिस्पर्द्धाबनी रहे।
इस इनोवेशन इंडेक्स को ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स की तर्ज़ पर तैयार किया गया है। पिछले संस्करणों में 36 संकेतकों के आधार पर विश्लेषण
किया गया था, लेकिन इस बार 66 संकेतकों का इस्तेमाल किया गया। पहले और दूसरे इनोवेशन इंडेक्स क्रमश: अक्टूबर 2019 तथा जनवरी
2021 में जारी किये गए थे।
आरा-बलिया रेल लाइन का सर्वेपूरा, भोजपुर में बनेगा नया रेलवे जंक्शन
हाल ही में पूर्वोत्तर रेलवे ने 61 किमी. लंबे आरा-बलिया ट्रेन रूट का प्राथमिक सर्वे पूरा कर लिया है। साथ ही आरा जंक्शन के पास स्थित
जगजीवन हॉल्ट को नया जंक्शन बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
प्रमुख बिंदु
यह जानकारी बलिया से लोकसभा सांसद वीरेंद्र सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि 61 किमी. लंबे आरा-बलिया ट्रेन रूट का प्राथमिक सर्वे पूरा
होने के बाद रेलवे बोर्ड ने इस नई रेललाइन के लिये डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने की अनुमति दे दी है।
इसके साथ ही बिहार के भोजपुर ज़िले में आरा जंक्शन के पास स्थित जगजीवन हॉल्ट को रेलवे जंक्शन के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव
भेजा गया है।
पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से प्रस्तावित आरा-बलिया रेल लाइन परियोजना की कुल लंबाई693 किमी. होगी। इस रूट में कुल 10 हॉल्ट और
स्टेशन होंगे।
नई रेलवे लाइन भोजपुर ज़िले के मसाढ़, धमार, उमरावगंज और धमवल होकर बक्सर ज़िले के नैनीजोर के पास गंगा नदी को पार करके
उत्तर प्रदेश में काठही कृपालपुर हल्दी, सोहिलपुर होकर बलिया के पास छपरा-वाराणसी रेल लाइन में मिल जाएगी। इस रूट पर गंगा नदी
पर नया रेल पुल भी बनाया जाएगा।
नई रेलवे लाइन बनने से बिहार के आरा और उत्तर प्रदेश के बलिया शहर के बीच की दूरी 36 किमी. तक घट जाएगी और भोजपुर ज़िले
के लोगों को बलिया के लिये सीधे ट्रेन मिल पाएगी। इससे उनका यात्रा खर्च भी कम होगा।
पर्यटन स्थल केरूप मेंमुजफ्फरपुर का ऐतिहासिक चामुंडा स्थान
हाल ही में बिहार स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक कँवल तनुज ने मुजफ्फरपुर ज़िले के डीएम प्रणव कुमार को कटरा
स्थित चामुंडा मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विभाग द्वारा विकसित करने हेतु पत्र भेजा है।
प्रमुख बिंदु
प्रबंध निदेशक कँवल तनुज ने बताया कि पर्यटकीय संरचनाओं के निर्माण को लेकर इसकी ज़मीन पर्यटन विभाग को हस्तांतरित की जाएगी।
इसमें ज़मीन हस्तांतरण के अलावा अतिक्रमण, स्वामित्व आदि के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया है।
विदित हैकि देश के ऐतिहासिक महत्त्व के धार्मिक एवं तीर्थस्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना में देश के कुल
70 तीर्थस्थलों को शामिल किया गया है।
इनमें बिहार के चार मंदिरों में चामुंडा मंदिर भी शामिल है। केंद्र सरकार की तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन ड्राइव (प्रसाद)
योजना से इन्हें विकसित किया जाना है।
उल्लेखनीय हैकि पर्यटन बढ़ाने के लिये केंद्र सरकार ने प्रसाद योजना शुरू की है। इससे रोज़गार सृजन होने के साथ क्षेत्र का आर्थिक विकास
भी होगा।
ध्यातव्य हैकि कटरा प्रखंड मुख्यालय से महज 100 गज की दूरी पर चामुंडा स्थान है। लगभग 80 एकड़ भूमि में फैला यह भूभाग कटरा
गढ़ कहलाता है। इसके पश्चिमोत्तर भाग में एक टीले पर माँ चामुंडा का भव्य मंदिर है। देवी का स्वरूप पिंडनुमा है। मंदिर की देखभाल न्यास
बोर्ड द्वारा नियुत्त कमेटी करती है।
बिहार में सार्वजनिक परिवहन की गाड़ियों मेंलगेगी लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस
28 जुलाई, 2022 को बिहार के परिवहन विभाग ने सार्वजनिक परिवहन की गाड़ियों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (वीएलटीडी)
और इमरजेंसी बटन लगाने का आदेश जारी किया।
प्रमुख बिंदु
बिहार के परिवहन विभाग ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के निर्देश के बाद इसे अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ ही स्कूली
छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के लिये भी स्कूल बसों में पैनिक बटन लगाने का निर्देश जारी किया गया है।
परिवहन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार जनवरी, 2019 से पहले पंजीकृत सभी सार्वजनिक परिवहन की गाड़ियों में वीएलटीडी तथा
इमरजेंसी बटन लगाया जाना अनिवार्य हो गया है।
अगस्त तक सभी प्राइवेट बसों में भी वीएलटीडी एवं इमरजेंसी बटन लगाया जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा।
महिलाओं की सुरक्षा के लिये गाड़ियों में लगाए जाने वाले इस उपकरण हेतु तीन एजेंसियों का चयन किया गया है।
गौरतलब हैकि परिवहन विभाग ने कुछ माह पहले कमांड एंड कंट्रोल सेंटर का उद्घाटन किया था, जहाँ से सार्वजनिक परिवहन की सभी
गाड़ियों (बस, कैब, टैक्सी) की मानीटरिंग की जाएगी।
सार्वजनिक वाहनों में सफर करने वाली महिलाएँ या लड़कियाँ खतरे को देखते हुए इमरजेंसी बटन दबाएंगी तो कंट्रोल एंड कमांड सेंटर में
अलार्मबजेगा, जिसके बाद तत्काल पुलिस मदद के लिये पहुँचेगी।
इसके अलावा इमरजेंसी अलर्ट, ओवर स्पीड और उपकरण के साथ छेड़छाड़ या तोड़े जाने पर भी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को अलर्टप्राप्त
होगा। इसकी मदद से कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को वाहन की लोकेशन की रियल टाइम जानकारी भी मिलती रहेगी। वाहन मालिक भी इस
साफ्टवेयर की मदद से अपने वाहनों की रियल टाइम स्थिति का पता कर सकते हैं।
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